चेन्नई: तमिलनाडु में अगले साल मई महीने में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने एक और बड़ा दांव खेला है. हाल ही में कांग्रेस की नेता खुशबू सुंदर को अपने पाले में लाने के बाद अब बीजेपी डीएमके के मुखिया रहे साथ ही कभी तमिलनाडु के मुख्यमंत्री रहे एम करुणानिधि के बड़े बेटे अलागिरी को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रही है.


अलागिरी ने नए राजनीतिक दल के गठन करने का संकेत दिया


एम करुणानिधि के निधन के बाद जहां छोटे बेटे एम के स्टालिन ने पार्टी को संभाल कर अब मुख्यमंत्री बनने की रणनीति बना रहे हैं वहीं दूसरी ओर बड़े बेटे एमके अलागिरी ने नए राजनीतिक दल के गठन करने का संकेत दिया है. अलगिरी ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि वे अपने समर्थकों के साथ बातचीत कर रहे हैं. जिसके बाद यह फैसला लिया जाएगा कि क्या नई पार्टी बनाई जाए या किसी पार्टी को समर्थन दिया जाए.


अमित शाह से मुलाकात कर सकते हैं अलागिरी


वहीं, दूसरी ओर बीजेपी सूत्रों ने बताया है कि 21 नवंबर को जब गृह मंत्री अमित शाह चेन्नई के दौरे पर रहेंगे तब अलागिरी उनसे मुलाकात कर सकते हैं. जिसके बाद तमिलनाडु की राजनीति गरमा गई है. हालांकि अलगिरी ने इससे साफ इनकार कर दिया है. उनका कहना है कि कोई भी बीजेपी नेता उनके संपर्क में नहीं है. डीएमके के सूत्रों का कहना है कि अलागिरी पार्टी से एसोसिएटेड नहीं है ऐसे में वह कोई भी फैसला ले उससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला.


बता दें कि सालों से करुणानिधि के बड़े बेटे एमके अलागिरी को पार्टी और परिवार दोनों से ही साइड लाइन रखा गया. जिसके कारण परिवार के भीतर कई बार अंदरूनी झगड़े भी साफ तौर पर देखे गए और इसका असर 2016 के चुनाव नतीजों पर भी पड़ा था. साथ ही पार्टी विरोधी गतिविधियों को देखते हुए करुणानिधि ने अपने बड़े बेटे अलागिरी को परिवार से अलग करने के साथ-साथ पार्टी से भी बाहर कर दिया था. और अपना उत्तराधिकारी अपने छोटे बेटे एमके स्टालिन को नियुक्त किया था. उनके निधन के बाद एम के स्टालिन ने पार्टी की कमान संभाली.


दक्षिण तमिलनाडु में अलागिरी की पकड़ मजबूत


वहीं अलागिरी पार्टी से किसी भी तरह से जुड़े हुए नहीं है. हालांकि इसमें कोई दो राय नहीं कि दक्षिण तमिलनाडु में एमके अलागिरी की पकड़ बहुत ही मजबूत मानी जाती है. ऐसे में अगर वे किसी भी पार्टी को समर्थन देते हैं या अपनी पार्टी बनाते हैं तो डीएमके को इसका भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है.