तमिलनाडु सरकार ने सोमवार (22 दिसंबर, 2025) को घोषणा की कि वह हड़ताल पर बैठी नर्सों की मांगों पर विचार करेगी और पोंगल (जनवरी के मध्य) 2026 तक वरिष्ठता के आधार पर उनमें से 723 को नियमित करने के लिए कदम उठाएगी.

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राज्य के स्वास्थ्य मंत्री एम.ए. सुब्रमणियन ने कहा कि साथ ही, उन्हें वेतन सहित मातृत्व अवकाश प्रदान करने की एक प्रमुख मांग पर भी सकारात्मक रूप से विचार किया जाएगा. समेकित वेतन पर नियुक्त सरकारी नर्सों की हड़ताल का आज पांचवा दिन है.

नर्स संघों के प्रतिनिधियों के साथ वार्ता करने के बाद सुब्रमणियन ने यहां पत्रकारों को बताया, 'मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने वेतन सहित मातृत्व अवकाश की अपील और उनके दस सूत्री चार्टर में शामिल अन्य मांगों पर विचार करने का निर्देश दिया है.' उन्होंने आश्वासन दिया कि सरकार उनकी समस्याओं के समाधान के लिए तत्काल कदम उठाएगी.

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राज्य भर में नर्सें 18 दिसंबर से हड़ताल पर हैं और आंदोलन के तीसरे दिन चेन्नई में 500 से अधिक नर्सों को गिरफ्तार किया गया. कड़ाके की ठंड के बावजूद, कुछ नर्सें अपने बच्चों को भी आंदोलन में लेकर आई थीं ताकि वे अपनी इस दुर्दशा को उजागर कर सकें कि उनकी सेवाओं को उचित मान्यता नहीं मिल रही है.

सुब्रमणियन ने कहा कि दिवंगत मुख्यमंत्री जे जयललिता के कार्यकाल के दौरान तमिलनाडु चिकित्सा भर्ती बोर्ड के माध्यम से नर्सों की नियुक्ति 14,000 रुपये के समेकित वेतन पर की गई थी. उन्होंने दावा किया कि द्रमुक के सत्ता में आने के बाद (2021 में), उनका वेतन संशोधित करके 18,000 रुपये प्रति माह कर दिया गया था.

उन्होंने कहा, 'सरकार ने संविदा पर कार्यरत 3,614 नर्सों की सेवाएं नियमित कर दी हैं और इसके अतिरिक्त 11 सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में 1,200 नर्सों की तैनाती की गई है. 169 नर्सों की सेवा नियमित करने के आदेश जारी करने की प्रक्रिया जारी है.'

मंत्री ने दावा किया कि नर्सों को शुरू में संविदा पर इस शर्त के साथ नियुक्त किया गया था कि रिक्तियां उत्पन्न होने पर उनकी सेवाएं नियमित कर दी जाएंगी. उन्होंने कहा, 'वर्तमान में 8,000 से अधिक नर्सें हड़ताल पर हैं.'

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