तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने बुधवार (31 जनवरी) को कहा कि द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके) सरकार राज्य में संशोधित नागरिकता अधिनियम (सीएए) को लागू करने की अनुमति कभी नहीं देगी, क्योंकि यह कुछ समूहों मसलन मुसलमानों और देश में शरण लिए श्रीलंकाई तमिलों के प्रति भेदभावपूर्ण है.
सीएम एमके स्टालिन राज्य में विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए फिलहाल अन्य देशों की यात्रा पर हैं. उन्होंने केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर के 29 जनवरी के बयान कि देश में सात दिन के अंदर सीएए लागू किया जाएगा के जबाव में यह बात कही. स्टालिन ने संसद में इसे पेश किए जाने के वक्त संशोधन के पक्ष में मतदान करने के लिए राज्य के मुख्य विपक्षी दल एआईएडीएमके की आलोचना की.
'मुस्लिमों और तमिल शरणार्थियों से भेदभाव वाला है कानून'
मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर AIADMK की आलोचना की और कहा कि यदि संशोधित नागरिकता विधेयक को उस पार्टी का समर्थन न होता तो शायद यह कानून नहीं बन पाता. मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कानून श्रीलंकाई तमिल शरणार्थियों और मुसलमानों के खिलाफ भेदभाव करता है.
केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर ने 29 जनवरी को दावा किया था कि सीएए एक सप्ताह के भीतर देशभर में लागू कर दिया जाएगा. पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के मटुआ समुदाय बहुल बोंगांव से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद ठाकुर ने कहा था कि कानून को सात दिन के भीतर तेजी से कार्यान्वित किया जाएगा.
'डीएमके ने विपक्ष में रहते किया था CAA का विरोध'
स्टालिन ने कहा कि पहले, जब डीएमके तमिलनाडु में विपक्ष में थी तो पार्टी ने सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और कानून को निरस्त करने की मांग करते हुए हस्ताक्षर अभियान चलाया था. उन्होंने कहा कि 2021 में पार्टी के सत्ता संभालने के बाद राज्य सरकार ने विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र से सीएए को वापस लेने का आग्रह किया. स्टालिन ने कहा कि डीएमके सरकार इस विवादास्पद कानून को लागू नहीं करेगी.
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