3 साल से बच्चे को 1 पैसा न देने वाले पिता को सुप्रीम कोर्ट ने हर महीने 10 हजार रुपए देने का आदेश दिया. जब वकील पिता ने अपनी आमदनी लगभग 20 हजार ही होने का दावा किया तो कोर्ट ने उसे लीगल सर्विस कमेटी से केस दिलवाने का बंदोबस्त कर दिया. चीफ जस्टिस सूर्य कांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह सब कुछ किया एक ऐसे मामले में जहां 3 साल पहले हुए तलाक की वैधता ही विवाद में है.

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क्या है मामला?गाजियाबाद की रहने वाली बेनजीर हिना को उनके पति यूसुफ ने 2022 में तलाक ए हसन (1-1 महीने के अंतर में कुल 3 बार बोला जाने वाला तलाक) दिया, लेकिन यूसुफ ने ऐसा एक वकील के जरिए किया. यानी वकील के दस्तखत से बेनजीर को 3 बार तलाक भेजा गया. बेनजीर ने इसे अवैध बताते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. साथ ही मुस्लिम पुरुषों को तलाक का एकतरफा हक देने वाली व्यवस्था को भी चुनौती दी.

पिछली सुनवाई में क्या हुआ था?19 नवंबर को हुई पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने भी पति की जगह किसी और की तरफ से तलाक देने पर सवाल उठाए. तब यूसुफ के लिए पेश वरिष्ठ वकील एम आर शमशाद ने माना कि यह गलत था. शमशाद ने इस गलती को सुधारने की मंशा जताई.

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बेनजीर की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि तलाक की स्थिति साफ न होने के चलते उन्हें अपने 4 साल के बच्चे का स्कूल में दाखिला करवाने, पासपोर्ट बनवाने, बैंक अकाउंट खोलने जैसी हर बात में समस्या आ रही है. हर जगह उनकी वैवाहिक स्थिति और बच्चे के पिता की सहमति मांगी जाती है. यूसुफ ने कथित तलाक के बाद दूसरी शादी कर ली है. कभी अपने बच्चे के लिए कोई खर्चा तक नहीं दिया. इस पर कोर्ट ने यूसुफ को अगली सुनवाई में व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए कहा.

आज क्या हुआ?बुधवार, 3 दिसंबर को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने बच्चे के स्कूल के अलावा पासपोर्ट ऑथोरिटी, बैंक और UIDAI (आधार ऑथोरिटी) को आदेश दिया कि वह बिना अड़चन बच्चे के दस्तावेज बनाएं. इसके बाद यूसुफ की तरफ से बताया गया कि उन्होंने नए सिरे से बेनजीर को तलाक देना शुरू किया है. हालांकि, कोर्ट ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की.

बेनजीर के लिए पेश वकील सैयद रिजवान ने बच्चे के लिए 20 हजार रुपए मासिक खर्च दिलवाने की मांग की. इस पर यूसुफ की तरफ से कहा गया कि वह लगभग 20-21 हजार रुपए कमाने वाले छोटे वकील हैं. कोर्ट ने 10 हजार देने के लिए कहा. यूसुफ ने इस पर भी असमर्थता जताई. इसके बाद चीफ जस्टिस ने कहा कि यूसुफ को सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विस कमेटी से कुछ काम दिलवाया जाए. उन्हें हर महीने 2 केस भी मिलेंगे तो बच्चे का खर्च उठाने में समस्या नहीं होगी.

दूसरी महिलाएं भी पहुंची हैं कोर्टकोर्ट में सिर्फ बेनजीर हिना का ही मामला नहीं है. नाजरीन निशा, सैयदा अंबरीन, नसरीन, साफिया, आसमा समेत कई मुस्लिम महिलाएं सुप्रीम कोर्ट पहुंची हैं. सब ने खुद को एकतरफा मुस्लिम तलाक से पीड़ित बताया है. मुस्लिम महिलाओं को भी देश की बाकी महिलाओं जैसे संवैधानिक हक देने की मांग की है. कोर्ट ने कहा है कि वह मामले को विस्तार से सुन कर मुस्लिम तलाक पर फैसला देगा.

21 जनवरी को अगली सुनवाईमामले की अगली तारीख 21 जनवरी को तय की गई है. कोर्ट ने बेनजीर के पति यूसुफ से यह भी कहा है कि वह 3 साल तक बच्चे के लिए कोई खर्च न देने की भी भरपाई करे. किसी एकमुश्त रकम के बारे में बताए. बेनजीर के वकील ने कहा कि यूसुफ ने नए सिरे से तलाक देना शुरू करने की बात कही है. अभी वह इस पर कोई टिप्पणी नहीं कर रहे हैं. अगली सुनवाई में वह इस बात पर जिरह करेंगे कि यह प्रक्रिया भी शरीयत के हिसाब से सही है या नहीं.