नई दिल्लीः तब्लीगी मरकज़ से कोरोना फैलने को लेकर सोशल मीडिया पर पिछले साल चले ट्रेंड का विरोध करने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई एक हफ्ता टाल दी है. याचिकाकर्ता की मांग है कि कोर्ट धार्मिक आधार पर दुर्भावना फैलाने वाले हैशटैग पर रोक का आदेश दे. कोर्ट ने आज याचिकाकर्ता से कहा कि वह पहले नए आईटी नियम पढ़े और बताए कि उसमें इस तरह का प्रावधान है या नहीं.


हैदराबाद के रहने वाले खाजा एजाजुद्दीन की याचिका में कहा गया है कि पिछले साल निज़ामुद्दीन मरकज़ में तब्लीगी जमात के लोगों की मौजूदगी को लेकर नफरत फैलाने वाले ट्वीट किए गए. ऐसा दिखाया गया जैसे मुसलमान एक साजिश के तहत कोरोना फैला रहे हैं. बकायदा हैशटैग चलाए गए. लेकिन न ट्विटर, न सरकार ने इस पर कोई कार्रवाई की. इसलिए कोर्ट सरकार को आदेश दे कि वह इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 2000 में इस बात को लेकर नियम जोड़े कि इस्लामोफोबिक या मजहबी आधार पर नफरत फैलाने वाले पोस्ट को हटाया जा सके. 


मामला चीफ जस्टिस एन वी रमना और जस्टिस ए एस बोपन्ना की बेंच में लगा. सुनवाई की शुरुआत में चीफ जस्टिस ने याचिकाकर्ता से कहा, "इस मसले को लोग भूल चुके हैं. आप इसे फिर क्यों चर्चा में लाना चाहते हैं?" कोर्ट ने यह भी पूछा कि क्या याचिकाकर्ता ने 2021 में बने नए इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी रूल्स को पढ़ा है. जजों के कहना था कि नए नियमों में ऐसे मामलों को लेकर प्रावधान किए गए हैं. पेशे से वकील एजाजुद्दीन ने जवाब दिया, "नए आईटी नियमों में धार्मिक आधार पर दुर्भावना फैलाने को लेकर अलग से कुछ नहीं कहा गया है."


कोर्ट ने याचिकाकर्ता को सलाह दी कि वह नए आईटी नियमों को पढ़े. इसके बाद जजों ने सुनवाई एक सप्ताह के लिए टाल दी. चीफ जस्टिस ने कहा कि मामले पर आगे विचार तभी होगा जब याचिकाकर्ता कोर्ट को यह आश्वस्त कर सके कि वाकई नए नियमों में सोशल मीडिया नफरत फैलाने वाली सामग्री पर कार्रवाई को लेकर प्रावधान नहीं किया गया है.


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