Supreme Court on ED and CBI:  प्रवर्तन निदेशालय (ED) और सीबीआई (CBI) निदेशकों का कार्यकाल 5 साल तक बढ़ाने की शक्ति केंद्र सरकार को देने वाले कानून को चुनौती पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है. 10 दिन बाद मामले की सुनवाई होगी. इन याचिकाओं में पहले ही 3 साल ED निदेशक रह चुके संजय मिश्रा को फिर से 1 साल का सेवा विस्तार देने का भी मसला उठाया गया है.

 

कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा समेत कई याचिकाकर्ताओं ने कानून को मनमाना बताया है. याचिकाकर्ताओं में सबसे पहले वकील मनोहर लाल शर्मा ने चीफ जस्टिस एन वी रमना, जस्टिस कृष्ण मुरारी और हिमा कोहली की बेंच के सामने बहस की. शर्मा ने कहा कि सरकार ने पहले मनमानी शक्ति खुद को लेने वाला अध्यादेश पारित किया. बाद में बिना चर्चा और वोटिंग के इस पर संसद में कानून पास कर लिया गया।

 

याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने क्या कहा? 

 

टीएमसी प्रवक्ता साकेत गोखले के लिए पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, "पिछले साल 8 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने ED निदेशक संजय मिश्रा के कार्यकाल विस्तार को चुनौती पर आदेश दिया था. मिश्रा का 2 साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद उन्हें 1 साल का विस्तार मिला था. तब कोर्ट ने कहा था कि विस्तारित कार्यकाल 18 नवंबर को खत्म हो रहा है, इसलिए अब उसमें दखल नहीं दिया जाएगा लेकिन फिर से विस्तार न दिया जाए. 14 नवंबर को सरकार एक अध्यादेश ले आई, इसके बाद मिश्रा को फिर से 1 साल का कार्यकाल दिया गया. यानी यह चौथा साल है. सरकार चाहे तो कार्यकाल 1 साल और बढ़ा सकती है."

 

एक अन्य याचिकाकर्ता के लिए पेश वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायण ने भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के उल्लंघन किए जाने की बात कही. वकीलों ने कोर्ट को बताया कि CBI से जुड़े दिल्ली पुलिस स्पेशल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट और ED से जुड़े सीवीसी एक्ट में बदलाव किए गए हैं. 3 जजों की बेंच ने लगभग 10 मिनट तक वकीलों को सुनने के बाद मामले में नोटिस जारी कर दिया. चीफ जस्टिस ने मामला 10 दिन बाद सुनवाई के लिए लगाने का निर्देश दिया.

 

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