सुप्रीम कोर्ट ने कथित आबकारी घोटाले से जुड़े धन शोधन के एक मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा की गई गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर शुक्रवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया, लेकिन उन्हें नियमित जमानत के लिए निचली अदालत का रुख करने की छूट दी.


जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता ने वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी और अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल (एएसजी) एस वी राजू की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया.


सिंघवी, केजरीवाल की ओर से, जबकि राजू ईडी की ओर से कोर्ट में पेश हुए. बेंच ने अपने आदेश में कहा, ‘‘दलीलें सुनी गईं. फैसला सुरक्षित है. हालांकि, अपीलार्थी कानून के अनुसार जमानत के लिए निचली अदालत का रुख कर सकते हैं.’’


सुप्रीम कोर्ट ने मामले की फाइल और 30 अक्टूबर 2023 के बाद दर्ज किये गए गवाहों और आरोपी के बयानों पर गौर किया. उसी दिन आम आदमी पार्टी (आप) के नेता मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी. सिसोदिया भ्रष्टाचार एवं कथित घोटाले से जुड़े धन शोधन मामला, दोनों में आरोपी हैं.


सुनवाई के दौरान, राजू ने दावा किया कि जांच एजेंसी ने केजरीवाल और कुछ हवाला कारोबारियों के बीच निजी बातचीत वाले संदेशों का खुलासा किया है.


ईडी की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता भी पेश हुए. उन्होंने कहा कि कथित हवाला कारोबारियों को अब गिरफ्तार कर लिया गया है और उनके पास से ‘चैट मैसेज’ (बातचीत के संदेश) बरामद किये गए हैं.


सिंघवी ने इस दावे का विरोध किया और कहा कि ये आरोप कोर्ट के मन में पूर्वाग्रह वाले विचार डालने के लिए लगाये गए हैं. सिंघवी ने बेंच से कहा, ‘‘यह कोर्ट के लिए दलील है या मीडिया के लिए? ये दलीलें कोर्ट के मन में अंतिम क्षणों में संदेह पैदा करने के लिए पेश की गई हैं.’’


राजू ने दावा किया कि जांच एजेंसी को, हवाला माध्यमों के जरिये आंध्र प्रदेश से गोवा पैसे भेजे जाने के साक्ष्य मिले हैं. उन्होंने कहा कि पैसे भेजे जाने का मकसद गोवा में 2022 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) की मदद करना था.


बेंच ने राजू से पूछा कि क्या इस ‘‘साक्ष्य’’ का उल्लेख ‘‘गिरफ्तारी के आधार’’ में लिखित रूप से किया गया था और केजरीवाल को दिया गया था. राजू ने जवाब दिया, ‘‘जांच एजेंसी आरोपपत्र दाखिल करने से पहले आरोपी के साथ हर चीज साझा नहीं कर सकती.’’ उन्होंने कहा कि गिरफ्तारी के वक्त आरेपी के साथ प्रत्येक साक्ष्य साझा करने से जांच प्रभावित होगी, सुनवाई में देर होगी और गवाहों को प्रभावित किये जाने की गुंजाइश बनेगी.


इसके बाद, बेंच ने एएसजी से पूछा, ‘‘यदि पूर्ण साक्ष्य आरोपी के साथ साझा नहीं किया गया तो वह अपना बचाव कैसे करेंगे या अपनी गिरफ्तारी को चुनौती कैसे देंगे. वह इन आधार को चुनौती कैसे देंगे?’’


कोर्ट ने कहा कि पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम) की धारा 19 में, जो गिरफ्तारी की शक्तियों से संबंधित है, ‘‘दोषी’’ शब्द का उपयोग किया गया है और इसका मतलब है कि जांच अधिकारी के पास मौजूद साक्ष्य के आधार पर यह विश्वास करने का कारण होना चाहिए कि आरोपी दोषी है.


जस्टिस खन्ना ने कहा कि आम तौर पर, जांच अधिकारी को किसी व्यक्ति को तब तक गिरफ्तार नहीं करना चाहिए, जब तक कि उसके पास यह दिखाने के लिए पर्याप्त साक्ष्य न हो कि वह दोषी है और यह मानक व्यवहार होना चाहिए.


एएसजी ने जवाब दिया कि जांच अधिकारी के लिए आपराधिक कानून के तहत गिरफ्तारी के लिए संदेह ही मानक है. सिंघवी ने प्रत्युत्तर दलील में राजू और मेहता की दलीलों का विरोध किया तथा कहा कि केजरीवाल के मामले में ईडी अधिकारियों ने केवल एक दोषारोपण बयान को अधिक महत्व दिया, जबकि गवाहों के नौ दोष मुक्ति बयानों की अनदेखी की.


कथित हवाला लेनदेन पर, सिंघवी ने कोर्ट से आग्रह किया कि वह मामले में पीएमएलए की धारा 70 के तहत आम आदमी पार्टी को आरोपी बनाए जाने पर अपना फैसला न सुनाए.


उन्होंने कहा, ‘‘यह पूरी तरह से एक अलग अध्याय है और हम समय की कमी के कारण मामले में ‘आप’ को आरोपी बनाए जाने के मुद्दे पर इस कोर्ट की सहायता नहीं कर पाए हैं. कृपया इस मुद्दे पर कोई आदेश पारित न करें, क्योंकि इससे समस्याएं पैदा होंगी.


उन्होंने कहा कि केजरीवाल के खिलाफ लेश मात्र भी साक्ष्य नहीं है और जांच एजेंसी जिन साक्ष्यों पर भरोसा कर रही है, वे जुलाई-अगस्त 2023 के हैं, जिन पर सुप्रीम कोर्ट 30 अक्टूबर, 2023 के मनीष सिसोदिया जमानत मामले के फैसले में पहले ही गौर कर चुकी है.


ईडी ने 16 मई को दावा किया था कि उसके पास यह प्रदर्शित करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं कि केजरीवाल ने रिश्वत के रूप में 100 करोड़ रुपये की मांग की थी, जिसका इस्तेमाल ‘आप’ ने गोवा विधानसभा चुनाव प्रचार अभियान में किया था.


दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल को धन शोधन मामले में 21 मार्च को गिरफ्तार किया गया था. मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार करने के वास्ते 10 मई से एक जून तक अंतरिम जमानत दी है.


धन शोधन का यह मामला, 2021-22 के लिए दिल्ली सरकार की आबकारी नीति बनाने और उसके क्रियान्वयन में कथित भ्रष्टाचार तथा धन शोधन से संबद्ध है. हालांकि, यह नीति अब रद्द की जा चुकी है.


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