नई दिल्ली: असहज कर देने वाली खबरों पर राज्य सरकारों की हालिया प्रतिक्रिया पर सुप्रीम कोर्ट ने आज व्यंग्य किया. कोर्ट ने कोरोना से मर रहे लोगों का गरिमापूर्ण अंतिम संस्कार न हो पाने पर सुनवाई करते हुए नदियों में शव बहाए जाने पर टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा, "हमने एक वीडियो देखा है कि नदी में शव को बहाया जा रहा है. हमें नहीं पता कि जिस चैनल ने इस वीडियो को दिखाया, उसके खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा दर्ज हुआ या नहीं."


देश में कोरोना के इलाज के बेहतर प्रबंधन और वैक्सीनेशन नीति को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी वरिष्ठ वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने शवों के सम्मानपूर्ण अंतिम संस्कार का मसला उठाया. उन्होंने कहा, "यह देखा जा रहा है कि कभी बीमारी के डर से, तो कभी आर्थिक कारण से लोग शवों का सही तरीके से अंतिम संस्कार नहीं कर रहे. कोर्ट को इस बारे में भी राज्य सरकारों से जवाब तलब करना चाहिए. उन्हें निर्देश देना चाहिए कि विद्युत शवदाह गृह की संख्या बढ़ाएं. दाह संस्कार के समय होने वाले वाली धार्मिक औपचारिकताओं को भी कुछ इस तरह से पूरा किया जाए, जिससे प्रक्रिया पूरी भी हो और जल्दी भी निपट सके."


इस पर जजों ने कहा कि ऐसा एक मामला पहले से सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. आगे इस पर विचार किया जाएगा. 3 जजों की बेंच की अध्यक्षता कर रहे जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने इस बीच पिछले दिनों यूपी में नदी में बहाए जा रहे शव के वीडियो की चर्चा कर दी. उन्होंने कहा कि हो सकता है इस वीडियो को दिखाने वाले चैनल पर मुकदमा दर्ज हो गया हो.


इससे पहले इसी बेंच ने सोशल मीडिया में कोरोना के इलाज के लिए मदद मांग रहे लोगों पर हो रही पुलिसिया कार्रवाई पर नाराजगी जताई थी. कोर्ट ने अपने आदेश में लिखा था, "अगर सोशल मीडिया पर कोरोना के इलाज से जुड़ी अपनी तकलीफ रख रहे किसी व्यक्ति पर मुकदमा दर्ज किया गया या उसे परेशान किया गया तो, यह कोर्ट उसे अपनी अवमानना की तरह देखेगा. राज्यों के डीजीपी यह सुनिश्चित करें कि इस तरह के लोगों को और अधिक परेशान न किया जाए."


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