SC On Pollution: दिल्ली एनसीआर प्रदूषण मामले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र और राज्यों को चेतावनी दी कि वह कल शाम तक कुछ ठोस उपाय करें. सुनवाई के दौरान 3 जजों की बेंच ने दिल्ली सरकार को खासतौर पर आड़े हाथों लिया. कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार की कोशिश सिर्फ दूसरों पर ठीकरा फोड़ने की है. वह खुद अपनी वाहवाही वाली प्रचार में लगी है.


आयोग के जवाब से कोर्ट असंतुष्ट


शनिवार को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि वह दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए बनाए गए आयोग की आपातकालीन बैठक बुलाए. इस बैठक में स्थिति में तुरंत सुधार के लिए कदम उठाने पर बात हो. आज चीफ जस्टिस एन वी रमना, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच सुनवाई के लिए बैठी तो उसने आयोग की तरफ से दाखिल की गई रिपोर्ट पर गहरा असंतोष जताया. जजों ने कहा कि इस रिपोर्ट में तमाम तरह के आंकड़े गिनाए गए हैं. पहले से तय प्रदूषण नियंत्रण उपायों को दोहराया गया है. लेकिन कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया गया है.


पराली से सिर्फ 10 प्रतिशत प्रदूषण


जजों ने सुनवाई के दौरान इस बात को दर्ज किया कि नई रिपोर्ट में फसल अवशेष यानी पराली जलाने से होने वाले धुंए का प्रदूषण में योगदान सिर्फ 10 प्रतिशत बताया गया है. सड़क से उड़ने वाली धूल, निर्माण कार्य, गाड़ियों के धुएं और औद्योगिक प्रदूषण को 75 प्रतिशत से भी ज्यादा प्रदूषण की वजह बताया गया है. जजों ने कहा कि अब तक पूरे एनसीआर में गैरजरूरी निर्माण कार्य को रोकने, सरकारी कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम के लिए कहने, स्कूलों को बंद करने, सड़क से गाड़ियों को हटाने जैसे मुद्दों पर निर्णय ले लिया जाना चाहिए था. लेकिन ऐसा नहीं हुआ है.


फिर से बैठक बुलाने का आदेश


कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार कल आयोग की आपातकालीन बैठक बुलाए. इसमें दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और यूपी के प्रतिनिधि भी शामिल हों. बैठक में कुछ ठोस निर्णय लिए जाएं. बुधवार की सुबह 10:30 बजे सबसे पहले इसी मामले को सुना जाएगा. जजों ने नाराजगी जताते हुए कहा, "कोर्ट से यह उम्मीद की जा रही है कि वह सरकारों का भी काम करे. कोर्ट को यह समझाना पड़ रहा है कि किन मुद्दों पर निर्णय लिया जाना चाहिए."


दिल्ली सरकार को कड़ी फटकार


सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के हलफनामे पर चर्चा शुरू हुई तो जज इस बात पर काफी नाराज नजर आए कि इसमें आसपास के राज्यों के किसानों को प्रदूषण के लिए जिम्मेदार बताया जा रहा है. बेंच के सदस्य जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, "आपने सिर्फ किसानों पर प्रदूषण का ठीकरा फोड़ना चाहते हैं. दिल्ली सरकार प्रदूषण के स्थानीय कारणों पर चर्चा नहीं कर रही है." इस पर राज्य सरकार के लिए पेश वकील राहुल मेहरा रक्षात्मक मुद्रा में आ गए. उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है, बाकी बातों पर भी कदम उठाए जा रहे हैं.


दिल्ली के वकील ने बातों का रुख मुड़ते हुए कहा कि कोर्ट को दिल्ली नगर निगम (MCD)से भी जवाब मांगना चाहिए, क्योंकि दिल्ली का एक बहुत बड़ा हिस्सा उसी के तहत आता है. इस पर जजों की नाराजगी और अधिक बढ़ गई. बेंच ने कहा, "अब किसानों के बाद आप नगर निगम पर ठीकरा फोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. आपका रवैया यही है कि ज़िम्मेदार दूसरों को ठहरा दो. अगर आप यही करना चाहते हैं तो हमें भी आपका ऑडिट करवाना पड़ेगा. यह देखना पड़ेगा कि राजस्व का कितना हिस्सा सही कामों में इस्तेमाल हो रहा है और कितना हिस्सा आप सिर्फ अपनी वाहवाही वाले प्रचार में लगा रहे हैं."


'किसानों को भी समझाया जाए'


कोर्ट के सख्त तेवरों से दिल्ली के वकील निरुत्तर हो गए. ऐसे में केंद्र के लिए पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने बात को संभालते हुए कहा कि दिल्ली समेत सभी राज्य अपनी तरफ से गंभीर प्रयास कर रहे हैं. प्रदूषण से निपटने में उन्हें कुछ समय लग रहा है. इस प्रदूषण के पीछे भौगोलिक कारण भी हैं. जजों ने कहा कि वैसे तो फसल अवशेष जलाने का योगदान नई रिपोर्ट के मुताबिक प्रदूषण में काफी कम है. फिर भी इन दो महीनों के दौरान इसे जलाया जाता है. हम पंजाब, हरियाणा और यूपी सरकार से यह चाहते हैं कि वह किसानों को समझाएं. उनसे कहें कि कम से कम 1 हफ्ते के लिए वह पराली न जलाएं.


प्रदूषण नियंत्रण आयोग की तरफ से दिए गए हलफनामे में ईट भट्ठों को बंद करने, निर्माण कार्य रोकने, पार्किंग शुल्क को 3 गुना बढ़ाकर गाड़ियों को सड़क पर आने से रोकने और सड़क की सफाई के लिए मशीनों के इस्तेमाल की बात कही गई थी. इस पर जजों ने कहा कि दिल्ली में 69 सड़क सफाई मशीनें हैं. लेकिन कितनी काम कर रही हैं, इस पर कोई जानकारी नहीं दी गई है. इसका भी पता नहीं है कि बाकी राज्यों में ऐसी मशीन है या नहीं. 


सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बेहतर हो कि मंगलवार शाम तक बैठक कर केंद्र और सभी राज्य किसी ठोस निर्णय पर पहुंचें. अगर जरूरी हो तो गाड़ियों को कुछ दिनों के लिए सड़क से हटा दिया जाए या दिल्ली और आसपास के शहरों में लॉकडाउन भी लगाया जा सकता है. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील विकास सिंह ने आरोप लगाया कि केंद्र और पंजाब सरकार जानबूझकर पराली से होने वाले प्रदूषण का आकलन कम करके बता रही है क्योंकि पंजाब में चुनाव होना है. हालांकि, जजों ने इस दलील को बहुत महत्व नहीं दिया.


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