Election Candidate Affidavit: देश में लोकसभा चुनाव की सरगर्मी के बीच सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्देश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (9 अप्रैल ) को कहा कि चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को उनके या आश्रितों के स्वामित्व वाली हर एक चल संपत्ति का खुलासा करने की जरूरत नहीं है, जब तक कि वे पर्याप्त मूल्य की न हों या लग्जरी को न प्रदर्शित करती हों. 


इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने उनकी खारिज की गई विधायकी को भी बहाल रखा. लोकसभा चुनाव से पहले सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है.


सुप्रीम कोर्ट ने रद्द किया गुवाहाटी हाई कोर्ट का फैसला


दरअसल सुप्रीम कोर्ट का यह निर्देश 2019 के अरुणाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में तेजू सीट से निर्दलीय विधायक कारिखो क्रि के चुनाव को बरकरार रखते हुए आया है. जस्टिस अनिरुद्ध बोस और संजय कुमार की पीठ ने गुवाहाटी हाईकोर्ट के उस फैसले को भी रद्द कर दिया, जिसमें कारिखो के चुनाव को अमान्य कर दिया गया था.


शीर्ष अदालत ने कहा कि एक मतदाता को किसी उम्मीदवार की प्रत्येक संपत्ति के बारे में जानने का पूर्ण अधिकार नहीं है. उम्मीदवार को अपनी उम्मीदवारी से अप्रासंगिक मामलों के संबंध में गोपनीयता का अधिकार है. अदालत ने कहा कि कारिखो क्रि ने नामांकन दाखिल करने से पहले गाड़ियों को या तो गिफ्ट कर दी थी या बेच दी थी. इसलिए गाड़ियों पर उनके परिवार का मालिकाना हक नहीं था.


क्या कहना है सुप्रीम कोर्ट का? 


सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई उम्मीदवार चल संपत्ति की हर एक चीज जैसे कपड़े, जूते, क्रॉकरी, स्टेशनरी, फर्नीचर की घोषणा करे यह आवश्यक नहीं है, लेकिन कोई मूल्यवान चीज है जो एक संपत्ति बनती है तो उसका खुलासा करने की आवश्यकता है. 


दरअसल, 2019 में तेजू विधानसभा सीट से कारिखो क्रि एक निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जीत हासिल की थी. कांग्रेस उम्मीदवार नुनी तायांग ने कारिखो पर नामांकन पत्र में गलत घोषणाएं करने का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.  गुवाहाटी हाईकोर्ट की ईटानगर पीठ ने कारिखो क्रि के चुनाव को रद्द कर दिया था, जिसके खिलाफ उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.


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