Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह आपराधिक मामले में सजायाफ्ता लोगों को आजीवन चुनाव न लड़ने देने की मांग पर अलग से सुनवाई करेगा. इसके लिए बेंच का गठन किया जाएगा. चीफ जस्टिस ने साफ किया है कि इन नेताओं का मुकदमा तेज़ी से निपटाने की मांग पर आदेश सुरक्षित रखा जा चुका है. सज़ा मिलने की स्थिति में जीवन भर चुनाव लड़ने से रोकने पर भी जल्द सुनवाई की जाएगी.


क्या है मामला?
वकील और बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय की तरफ से दाखिल याचिका में सांसदों/विधायकों के खिलाफ आपराधिक केस के तेज निपटारे की मांग की गई है. इसी मामले को सुनते हुए सुप्रीम कोर्ट ने देश भर में विशेष एमपी-एमएलए कोर्ट बनाने का आदेश दिया था. 


इसी याचिका में जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8 को भी चुनौती दी गई है. इसमें कहा गया है कि इस धारा के तहत 2 साल या उससे अधिक की सज़ा पाने वाले नेता को गलत रियायत दी गई है. ऐसा सज़ायाफ्ता नेता अपनी सज़ा पूरी करने के 6 साल बाद चुनाव लड़ने के योग्य हो जाता है. इस प्रावधान को असंवैधानिक करार दिया जाना चाहिए.


एमिकस क्यूरी की सलाह
इस मामले को सुनते हुए सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ वकील विजय हंसारिया को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया था. अब उन्होंने कोर्ट को सलाह दी है कि सज़ायाफ्ता नेताओं को जीवन भर चुनाव नहीं लड़ने देना चाहिए. एमिकस की रिपोर्ट में कहा गया है कि आपराधिक मामले में सज़ा पाने वाला व्यक्ति सरकारी नौकरी के अयोग्य माना जाता है.


राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग या केंद्रीय सतर्कता आयोग जैसी संस्थाओं में भी सज़ायाफ्ता व्यक्ति को किसी पद के लिए अयोग्य माना गया है. ऐसे में नेताओं को विशेष छूट देने का कोई औचित्य नहीं है. सज़ा पाने वाले को इस बात की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए कि वह संसद या विधानसभा में बैठ कर दूसरों के लिए कानून बनाए.


आज क्या हुआ?
इससे पहले इस मामले की सुनवाई 11 सितंबर को हुई थी. तब कोर्ट ने यह संकेत दिया था कि वह सांसदों/विधायकों के खिलाफ मुकदमों की निगरानी का ज़िम्मा हाई कोर्ट को सौंपेगा, ताकि उनका जल्द निपटारा सुनिश्चित किया जा सके. शुक्रवार (15 सितंबर) चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले से जुड़े वकीलों को बताया कि मुकदमों के तेज़ निपटारे पर आदेश सुरक्षित रखा जा चुका है. जहां तक सज़ा पाने के बाद किसी नेता को चुनाव लड़ने से आजीवन प्रतिबंधित करने का सवाल है, कोर्ट इस पर भी सुनवाई करेगा. इसके लिए बेंच का गठन किया जाएगा.


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