Justice BR Gavai On Love Marriage: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (17 मई) को एक मामले को सुनते हुए लव मैरिज और तलाक को लेकर टिप्पणी की. पति-पत्नी के बीच वैवाहिक विवाद का मामला सुनते हुए जस्टिस बी आर गवई ने कहा कि लव मैरिज में तलाक के मामले ज्यादा हो रहे हैं. 


दरअसल, कोर्ट जिस मामले को सुन रहा था, उसमें भी दंपति ने प्रेम विवाह ही किया था. वकील की तरफ से इसकी जानकारी मिलने पर जज गवई ने यह टिप्पणी की. हालांकि, इस टिप्पणी को पूरी तरह जज की व्यक्तिगत टिप्पणी माना जाएगा. यह कोई आदेश नहीं है. कोर्ट जिस मामले को सुन रहा था उसमें उसने पति-पत्नी को मध्यस्थता के ज़रिए विवाद सुलझाने का निर्देश दिया है. 


बार एंड बेंच के मुताबिक, हालांकि कोर्ट ने कहा कि हाल के एक फैसले को देखते हुए उसकी (पति और पत्नी) की सहमति के बिना तलाक दे सकती है. दरअसल शीर्ष न्यायालय की 5 जजों की संविधान पीठ ने कहा था शादी का जारी रहना असंभव होने की स्थिति (irretrievable breakdown of marriage) में वह अनुच्छेद 142 के तहत अपनी तरफ से तलाक का आदेश दे सकता है. 


अनुच्छेद 142 क्या है? 
सुप्रीम कोर्ट ने पहले कई मामलों अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल करते हुए तलाक का आदेश दिया था. अनुच्छेद 142 में के मुताबिक, न्याय के हित में सुप्रीम कोर्ट कानूनी औपचारिकताओं को दरकिनार करते हुए किसी भी तरह का आदेश दे सकता है.


बेंच ने क्या कहा था?
जस्टिस संजीव खन्ना ने बेंच की ओर से फैसला पढ़ते हुए कहा था कि जब शादी को जारी रखना असंभव हो तब सुप्रीम कोर्ट सीधे भी तलाक आदेश दे सकता है. आपसी सहमति से तलाक के मामले में जरूरी 6 महीने के इंतजार का कानूनी प्रावधान भी इसमें लागू नहीं होगा.


हालांकि कोर्ट ने कहा कि इस फैसले को आधार बनाकर तलाक का मुकदमा सीधे उच्चतम न्यायालय में दाखिल नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने कहा है कि तलाक के लिए निचली अदालत की पहले वाली प्रक्रिया का पालन करना पड़ेगा. 


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