Supreme Court On Highway Walking : नेशनल हाईवे पर पैदल चलने वालों की सुरक्षा को लेकर एक याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है. शीर्ष अदालत ने कहा है कि नेशनल हाईवे टहलने की जगह नहीं है. कोर्ट ने कहा कि कल को आप कहेंगे कि पैदल यात्रियों को राजमार्ग (NH) पर टहलने की अनुमति दी जानी चाहिए और कारें रुकनी चाहिए. ऐसा नहीं हो सकता. अदालत नियमों के उल्लंघन की अनुमति कैसे दे सकती है? "


गुजरात हाईकोर्ट ने भी खारिज की थी याचिका


यह मामला सोमवार को जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया था. गुजरात हाईकोर्ट ने ऐसे ही एक मामले में आदेश देने से इनकार करते हुए कह दिया था कि नेशनल हाईवे पर सुरक्षा संबंधी शिकायत संबंधित मंत्रालय से की जा सकती है.


गुजरात हाईकोर्ट ने कहा था कि याचिकाकर्ताओं के लिए केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय से संपर्क करने और शिकायत करने का रास्ता खुला है. इसी आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगायी गई थी.


पैदल यात्री नेशनल हाईवे पर क्यों आएंगे?


सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के वकील ने दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों की बढ़ती हुई संख्या का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि यह नेशनल हाईवे पर पैदल चलने वालों की सुरक्षा से जुड़ा मामला है. इस पर पीठ ने कहा, "पैदल यात्री नेशनल हाईवे पर कैसे आते हैं?"


इसके बाद आंकड़ों का हवाला देते हुए जब वकील ने कहा कि देश में पैदल यात्रियों के साथ सड़क दुर्घटनाओं की संख्या में भारी वृद्धि हुई है. इस पर पीठ ने कहा कि मौतों की संख्या में बढ़ोतरी इसलिए हुई है क्योंकि नेशनल हाईवे की संख्या बढ़ी है, लेकिन लोगों में अनुशासन की कमी है. ऐसी दुर्घटनाएं तब होंगी जब पैदल यात्री नेशनल हाईवे पर जाएंगे, जहां उन्हें नहीं होना चाहिए. लोगों को नेशनल हाईवे पर इधर-उधर नहीं घूमना चाहिए. अनुशासन का पालन किया जाना जरूरी है.


"जुर्माने के साथ खारिज की जानी चाहिए याचिका"
सुनवाई के समय याचिकाकर्ता के वकील ने एक बार फिर आंकड़े का हवाला देते हुए सुरक्षा का मुद्दा उठाया जिस पर खंडपीठ ने तीखी टिप्पणी की . न्यायाधीश ने कहा, "यह तर्कहीन याचिका है. इसे जुर्माने के साथ खारिज कर दिया जाना चाहिए था."


खंडपीठ ने कहा, "आपको जो मिला है, उससे आप खुश रहिए. अगर लोग नियमों का उल्लंघन करते हैं, तो अदालत कैसे कह सकती है कि वे नियमों का उल्लंघन कर करते रहें."


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