कोरोना से मौत के मामलों में मुआवजे के लिए झूठे दावों पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जब हमने मुआवजे का आदेश दिया था, तब कल्पना भी नहीं की थी कि इसके लिए झूठे दावे भी होंगे. हमने कभी नहीं सोचा था कि इस तरह के फर्जी दावे आ सकते हैं. हमने कभी नहीं सोचा था कि इस योजना का दुरुपयोग किया जा सकता है.


सॉलिसीटर जनरल ने CAG से ऑडिट का सुझाव दिया है. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा है. पिछले हफ्ते सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट को बताया था कि उसके आदेश के मुताबिक सभी राज्यों में मुआवजा दिया जा रहा है. लेकिन यह समस्या भी देखने को आ रही है कि डॉक्टर नकली प्रमाणपत्र दे रहे हैं. कोर्ट ने सभी पक्षों से इससे बचने पर सुझाव देने को कहा है.


7 मार्च को भी सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरों द्वारा कोविड की मौतों के लिए अनुग्रह मुआवजे का दावा करने के लिए लोगों को नकली मेडिकल सर्टिफिकेट जारी करने पर चिंता व्यक्त की थी. कहा था कि वह इस मामले की जांच का आदेश दे सकता है. केंद्र ने प्रस्तुत किया था कि कोविड की मृत्यु से संबंधित दावों को प्रस्तुत करने के लिए एक बाहरी सीमा तय की जा सकती है, अन्यथा प्रक्रिया अंतहीन हो जाएगी और कहा कि कुछ राज्य सरकारों को डॉक्टरों द्वारा जारी किए गए नकली चिकित्सा प्रमाण पत्र मिले हैं. 


सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट गौरव बंसल द्वारा कोविड पीड़ितों के परिवारों को राज्य सरकारों द्वारा अनुग्रह मुआवजे के वितरण के संबंध में दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही है. कोर्ट विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा कोविड मौतों के लिए 50,000 रुपये की अनुग्रह राशि के वितरण की निगरानी कर रही है.


ये भी पढ़ें-
यूपी फतह के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ के दिल्ली दौरे का आज दूसरा दिन, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और नितिन गडकरी से मिले


Watch: हथियारों से लैस 4-4 सैनिकों से निहत्थे भिड़ गया यूक्रेन का यह बुजुर्ग दंपत्ति, सभी को घर से बाहर खदेड़ा