पांच राज्यों में चुनाव के नतीजे बता रहे हैं केंद्र में अभी पीएम मोदी का जादू बरकरार है. अगर खुद प्रधानमंत्री के लफ्जों में ही कहें 2022 के आंकड़े 2024 का रास्ता खुला हुआ दिखा रहे हैं. बात फाइनल सेमीफाइनल की न भी करें तो कम से कम इतना तो कहा ही जा सकता है कि लोकसभा चुनाव से दो साल पहले तक सत्ता के खिलाफ कोई लहर बनती दिखाई नहीं दे रही. ऐसे में भारत की अर्थव्यवस्था को दुनिया के तीसरे नंबर की अर्थव्यवस्था बनाने का रास्ता साफ दिखाई दे रहा है. पीएम मोदी चाहें तो बड़े आर्थिक फैसले बिना चुनावी डर के ले सकते हैं.


देश विदेश के अर्थशास्त्रियों का मानना है कि 2024 की तैयारी के मद्देनजर प्रधानमंत्री को कड़े फैसले लेने से कोई रोक नहीं सकता और किसान बिल वाली हालत अब दोबारा किसी दूसरे आर्थिक सुधार में होता दिखाई नहीं देता. सरकार कड़े और जरूरी फैसले ले सकती है. देश की इकनॉमी इस वक्त पौने तीन ट्रिलियन डॉलर की है और पीएम मोदी का सपना है कि 2024 तक भारत की इकॉनमी 5 ट्रिलियन डॉलर की हो जाए. लेकिन इसके रास्ते में कई रोड़े हैं-



  • आर्थिक विकास में रोड़ा 

  • कोरोना की वजह से सप्लाई पर असर 

  • कोरोना की वजह से डिमांड में गिरावट

  • यूक्रेन युद्ध की वजह से अस्थिरता 

  • युद्ध की वजह से महंगाई में इजाफा 


देश की सरकार के सामने चुनौतियां बहुत सारी हैं लेकिन ये भी तय है कि एक न एक दिन भारत की इकनॉमी पांच ट्रिलियन की होनी ही है तो आज क्यों नहीं. जितनी जल्दी हो सके देश के अंदर सप्लाई डिमांड ग्राफ को वापस पटरी पर लाने की जरूरत होगी. साथ ही अंतरराष्ट्रीय मुद्रास्फीति से बचाव करने के लिए आत्मनिर्भरता पर जोर देने की जरूरत होगी. प्रधानमंत्री का वोकल फॉर लोकल भी आज की स्थिति से बाहर निकालने में देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक बहुत बड़ा मंत्र साबित हो सकता है.


GDP बढ़ाने के लिए क्या करने की जरूरत
केंद्र सरकार को जीडीपी बढ़ाने के लिए देश में कई तरह के बड़े आर्थिक सुधार करने की जरूरत है. जैसे- बैंकरप्सी कोड में बदलाव, श्रम कानून में जरूरी सुधार, कॉर्पोरेट प्रॉफिट टैक्स, इंडस्ट्रियल रिलेशन कोड. देश की सरकार को प्राइवेटाइजेशन और विनिवेश पर भी तेजी से काम करने की जरूरत है. इससे व्यापार के बढ़ने के साथ साथ रोजगार बढ़ाने में भी मदद मिलेगी. ऐसी कई और चुनौतियां भी हैं जिनका सामना करने के लिए सरकार को मजबूती दिखाने की जरूरत है. 


भारत आर्थिक तौर पर स्थिर और मजबूत देश है यहां की आबादी अपने आप में कई देशों की इकनॉमी चला सकती है. ऐसे में सरकार के सामने फैसलों के लिए खुला मैदान है जिसमें मजबूती से कदम रखते हुए आगे बढ़ने की जरूरत है.


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