Supreme Court On Rape Case: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (11 जुलाई) को उस मामले को बंद कर दिया जिसमें इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) ने पीड़िता की कुंडली पर ज्योतिष रिपोर्ट मांगी थी. हाई कोर्ट के इस आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था. सुप्रीम कोर्ट ने शिकायतकर्ता और उत्तर प्रदेश राज्य के वकील की इस दलील पर मामले का निपटारा कर दिया कि आरोपी की ओर से दायर जमानत याचिका अभियोजन न चलाने के कारण खारिज कर दी गई थी और इसलिए मामला निरर्थक हो गया है. 


दरअसल, एक शख्स पर शादी का झांसा देकर संबंध बनाने का केस दर्ज हुआ. इस मामले में आरोपी व्यक्ति ने लड़की को मंगली बताते हुए शादी से करने इनकार कर दिया. जिसके बाद हाई कोर्ट ने पीड़िता की कुंडली पर ज्योतिष रिपोर्ट मांगी थी. इस मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसे गैरजरूरी बताया है. 


क्या कहा था सुप्रीम कोर्ट ने?


कोर्ट की अवकाश पीठ ने कहा था कि पीड़िता मंगली है या नहीं, ये जानना जरूरी नहीं. हाई कोर्ट तथ्यों के हिसाब से जमानत पर फैसला ले. सुप्रीम कोर्ट ने मामले से जुड़े पक्षों और यूपी सरकार को नोटिस जारी करते हुए 10 जुलाई के बाद सुनवाई करने की बात कही थी. मामला जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस सीटी रवि कुमार की खंडपीठ के समक्ष था. 


जमानत याचिका खारिज कर दी गई


जस्टिस धूलिया ने कहा कि कोर्ट ने अपने पिछले आदेश में जमानत आवेदन पर मेरिट के आधार पर विचार करने का अधिकार हाई कोर्ट पर छोड़ दिया था. हालांकि, इसने इस दलील पर ध्यान दिया कि जमानत याचिका गैर-अभियोजन के कारण खारिज कर दी गई और मामले को बंद कर दिया गया. राज्य के वकील ने अदालत को सूचित किया कि आरोप पत्र दायर किया गया है. 


पीड़िता ने लगाए ये आरोप


हाई कोर्ट के जस्टिस बृज राज सिंह की पीठ ने शादी का झूठा वादा करके कथित बलात्कार के एक मामले में आरोपी की ओर से दायर जमानत याचिका पर ये आदेश पारित किया था. आरोपी ने बचाव में दलील दी थी कि महिला के मांगलिक होने के कारण उससे शादी नहीं की जा सकती. हाई कोर्ट में पीड़िता ने दलील दी थी कि आरोपी ने उससे शादी करने का झूठा वादा करके उसके साथ यौन संबंध बनाए और उसका उससे शादी करने का कभी इरादा नहीं था.


आरोपी ने कहा था कि उसके और पीड़िता के बीच शादी नहीं हो सकती क्योंकि पीड़िता मांगलिक है. इस आरोप का खंडन करते हुए पीड़िता के वकील ने कहा कि वह 'मंगल दोष' से पीड़ित नहीं है. इसपर हाई कोर्ट ने लखनऊ विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष (ज्योतिष विभाग) को इस मामले पर निर्णय लेने का निर्देश दिया था कि लड़की मंगली है या नहीं. जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी. 


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