Child Care Leaves Row: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिव्यांग बच्चे की देखभाल करने वाली मां को चाइल्ड केयर लीव (सीसीएल) देने से मना करना कार्यबल में महिलाओं की समान भागीदारी सुनिश्चित करने से जुड़ी सरकार के संवैधानिक कर्तव्य का उल्लंघन होगा. सोमवार (22 अप्रैल, 2024) को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने दिव्यांग बच्चों की कामकाजी महिलाओं को सीसीएल देने के मुद्दे पर नीतिगत निर्णय लेने के लिए हिमाचल प्रदेश के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति गठित करने का भी निर्देश दिया.


बेंच ने कहा कि याचिका में एक 'गंभीर' मुद्दा उठाया गया है और 'कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी विशेषाधिकार का मामला नहीं, बल्कि एक संवैधानिक जरूरत है. आदर्श नियोक्ता के रूप में सरकार इससे अनजान नहीं हो सकती. देश की सबसे बड़ी अदालत ने यह भी आदेश दिया कि केंद्र को मामले में पक्षकार बनाया जाए. इसने फैसला देने में अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से मदद मांगी.


CCL से जुड़ी याचिका पर विचार का भी निर्देश


इस बीच, इसने हिमाचल प्रदेश के अधिकारियों को सीसीएल देने से जुड़ी याचिका पर विचार करने का भी निर्देश दिया. याचिकाकर्ता महिला राज्य में भूगोल विभाग में सहायक प्रोफेसर हैं. उनका बेटा आनुवंशिक विकार से पीड़ित है और जन्म के बाद से उसकी कई सर्जरी हो चुकी हैं.


''ऐसी छुट्टियों से इनकार कामकाजी औरतों को...''


बेंच ने यह भी कहा, "सीसीएल महत्वपूर्ण संवैधानिक उद्देश्य को पूरी करती है, जहां महिलाओं को कार्यबल में समान अवसर से वंचित नहीं किया जाता." आगे यह भी बताया गया कि ऐसी छुट्टियों से इनकार कामकाजी मां को नौकरी छोड़ने के लिए मजबूर कर सकता है और विशेष जरूरतों वाले बच्चों की माताओं के लिए यह और भी महत्वपूर्ण है.


CCL पर नीति संशोधित करे राज्य सरकार- SC 


न्यायालय ने राज्य सरकार को सीसीएल पर नीति को संशोधित करने का निर्देश दिया ताकि इसे दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 के अनुरूप बनाया जा सके. इसने कहा कि समिति में मुख्य सचिव के अलावा राज्य के महिला व बाल विकास और समाज कल्याण विभाग के सचिव होंगे और उसे 31 जुलाई तक सीसीएल के मुद्दे पर निर्णय लेना होगा.


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