Supreme Court Cases: सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय किशन कौल ने कोर्ट के मेंबर्स से कहा कि लंबित मामलों से निपटने के लिए मामलों का त्वरित समाधान सुनिश्चित करें. साथ ही उन्होंने कहा, "अगर एक-एक मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट तक आएगी तो 500 साल में भी पेंडेंसी की समस्या का समाधान नहीं किया जा सकता."    


तो 200- 500 साल में लंबित मामलों का अंत नहीं..
जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा, "लंबित मामलों की भारी मात्रा, एक बाधा पैदा कर रही है. अब अगर हर मामले को आखिर तक चलाना है, अगर हर पहली अपील को कोर्ट द्वारा सुना जाना है, अगर हर मामला सुप्रीम कोर्ट में आने के लिए खुद को पार कर जाता है, तो 200 साल या 500 साल लंबित मामलों का अंत नहीं होगा."


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मुकदमेबाजी से लोग शिक्षित हों 
जस्टिस कौल के मुताबिक, "दलील सौदेबाजी, लोक अदालतों और मध्यस्थता के तंत्र बेहतर और तेज न्याय देने में महत्वपूर्ण थे. उन्होंने कहा कि प्रक्रियाओं से न केवल मुद्दों को जल्दी से समाधान करने में मदद मिलेगी, बल्कि समय बचत और प्रक्रिया को कम बोझिल बनाकर कोर्ट और वादियों को मदद मिलेगी." उन्होंने इस पर जोर देकर कहा कि अगर दलील सौदेबाजी और मध्यस्थता एक साथ काम करती है, तो पारिवारिक विवादों के परिणाम स्वरूप क्राइम और दीवानी मामलों के बोझ को जल्दी निपटाया जा सकता है. इसके साथ ही जस्टिस कौल ने देश में बढ़ते आपराधिक मुकदमों के बारे में चिंता व्यक्त करते हुए मुकदमेबाजी के बारे में लोगों को शिक्षित करने की ओर जोर दिया. 


पेंडेंसी का पहाड़
वहीं इस साल की शुरुआत में मार्च में संसद में कानून मंत्री किरेन रिजिजू के एक बयान के अनुसार, देश की सभी अदालतों में 4.70 करोड़ से ज्यादा लंबित मामले थे. वहीं 1 अगस्त तक 71,411 मामले सुप्रीम कोर्ट, जबकि 59,57,454 मामले देश के 25 हाईकोर्ट में लंबित थे. इनमें से सबसे ज्यादा 10 लाख मामले इलाहाबाद हाईकोर्ट, इसके बाद राजस्थान हाईकोर्ट में 6 लाख से ज्यादा और बॉम्बे हाईकोर्ट में 6 लाख से कम मामले लंबित हैं.


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