नई दिल्ली: मंगलवार सुबह करीब चार बजे हैदराबाद एयरपोर्ट पर रूस से आए एक विशेष कार्गो विमान से स्पुतनिक वी वैक्सीन की एक बड़ी खेप पहुंची. इसमें 56.6 टन वैक्सीन है, जिसमें करीब 3 मिलियन डोज है. देश में स्पुतनिक वी वैक्सीन जल्द से जल्द आ सके, इसके लिए विशेष चार्टर कार्गो विमान आरयू-9450 का इस्तेमाल किया गया. इस विमान में सिर्फ वैक्सीन ही लाई गई है.


स्पुतनिक वैक्सीन को स्टोर करने के लिए -20 डिग्री तापमान की जरूरत पड़ती है. हालांकि हैदराबाद एयरपोर्ट के कार्गो टर्मिनल पर इसके लिए पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं. विमान के भीतर भी स्पुतनिक वी वैक्सीन के लिए -20 डिग्री के तापमान वाले कंटेनर का इंतजाम किया गया था. दरअसल, फैक्टरी से ही वैक्सीन को -20 डिग्री तापमान पर बने रह सकने वाले बड़े कंटेनर में अलग-अलग छोटे छोटे बॉक्स में सुरक्षित रखा जाता है.


कोल्ड चेन के अंतर्गत वैक्सीनेशन सेंटर तक कैसे पहुंचती है वैक्सीन?


एयरपोर्ट पहुंचने के बाद सरकारी निर्देशों के अनुसार इन्हीं कंटेनरों को अलग-अलग शहरों के ऐसे स्थानों में पहुंचा दिया जाता है, जिन्हें आसपास के शहरों के वैक्सीन हब के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. यहां वैक्सीन कंटेनर को बड़े कमरे या हॉल के बराबर के कोल्ड रूम्स में रखा जाता है. फिर यहीं से अलग-अलग वैक्सीन सेंटर को वैक्सीन की सप्लाई होती है.


कोल्ड रूम से वैक्सीनेशन सेंटर तक एक या दो दिन की सीमित मांग के आधार पर वैक्सीन भेजी जाती है. इस दौरान वैक्सीन को कोल्ड बॉक्स में रखा जाता है. जीएमआर हैदराबाद एयर कार्गो को वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने दवाओं और वैक्सीन को सुरक्षित तरीके से पूरे विश्व में ट्रांसपोर्ट करने के लिए ‘गुड स्टोरेज एंड डिस्ट्रिब्यूशन’ का खिताब भी दे रखा है.