नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर भले ही यह कहा हो कि उन्होंने साइक्लोन यास को लेकर बुलाई गई समीक्षा बैठक से जाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इजाजत मांगी थी. लेकिन सरकारी सूत्र कुछ और ही कह रहे हैं. केंद्र सरकार के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक ममता बनर्जी को बैठक से जाने की इजाजत नहीं दी गई थी. 


क्या है पूरा मामला 


केंद्र सरकार के सूत्रों ने पीएम के चक्रवात यास के दौरे को लेकर बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के बयानों का बिंदुवार जबाब दिया है. 


ममता का बयान - पीएम के दौरे के विषय में देरी से बताया गया. पीएम के कार्यक्रम के लिए मैंने पहले से तय अपने कार्यक्रम में से समय निकाला. 


केंद्र का दावा- चक्रवात यास के आने से पहले प्रधानमंत्री के दौरे का कार्यक्रम तय नहीं हो सकता था. पिछले वर्ष अम्फान चक्रवात आने के वक़्त जो समय सारणी बनाई गई थी, वही इस बार भी फॉलो किया गया. साथ ही चक्रवात यास से प्रभावित दोनों राज्यों ओडिशा और बंगाल के सीएम को एक साथ ही बताया गया. ओडिशा ने पूरा कार्यक्रम बहुत अच्छे से मैनेज किया, जबकि बंगाल से पहले पीएम ओडिशा पहुंचे. 


ममता का बयान - मैंने पीएम का इंतजार किया


केंद्र का दावा- कलाईकुंडा में पीएम 1 बजकर 59 मिनट पर लैंड किए जबकि ममता बनर्जी 2 बजकर 10 मिनट पर लैंड कीं. इससे साफ है कि पीएम पहले पहुंचकर वहां काफी देर इंतजार करते रहे. ये एक और बात से साफ होता है कि टीएमसी के एक सांसद ने ट्वीट किया था कि इसमें क्या हो गया अगर पीएम को थोड़ा इंतजार ही करना पड़ गया. बंगाल सीएम हेलीकॉप्टर से उतर कर महज 500 मीटर की दूरी पर स्थित बिल्डिंग में पीएम से मिलने गईं और उनका हेलोकॉप्टर 2 बजकर 35 मिनट पर उड़ गया. महज 500 मीटर की दूरी में जाने आने और वापस अगले सफर पर उड़ने में सीएम को कुल 25 मिनट समय लगा. पीएम के मौजूद रहते ही सीएम का वेन्यू से निकलकर वापस हेलीकॉप्टर से चले जाना स्थापित प्रोटोकॉल का साफ उलंघन है. ममता बनर्जी का ये कहना कि उन्होंने पीएम का इंतजार किया, सरासर गलत है, हकीकत में पीएम ने उनका लंबा इंतजार किया. 


ममता का बयान - मेरा कार्यक्रम पहले से तय था और ये जरूरी नहीं कि हर बार सीएम प्रधानमंत्री की आगवानी में रहे. 


केंद्र का दावा- ममता बनर्जी ने बैठक में मौजूद रहने की स्वीकृति पहले ही दे दी थी. उन्होंने अपना निर्णय तब बदल दिया जब उन्हें पता चला कि विपक्ष के नेता भी बैठक में मौजूद रहेंगे, जिसका जिक्र उन्होंने अपने पत्र में भी किया है. इससे ये पता चलता है कि पहले से निर्धारित कार्यक्रम की उनकी दलील उचित नहीं. ये गवर्नर के उस ट्वीट से भी साफ होता है, जिसमें उन्होंने लिखा है कि बंगाल की सीएम ने गवर्नर को ये बात कही थी कि अगर विपक्ष का नेता भी बैठक में रहेंगे तो वो बैठक का बॉयकॉट करेंगी. 


ममता का बयान - सागर में हेलिपैड के पास उन्हें 20 मिनट इसलिए इंतजार करना पड़ा क्योंकि पीएम कलाईकुंडा में लैंड करने वाले हैं फिर बाद में 15 मिनट उनके हेलोकॉप्टर को आसमान में ही उड़ते रहना पड़ा क्योंकि पीएम वहां लैंड करने वाले थे.


केंद्र का जवाब- बंगाल सीएम को वहां एडवांस में पहुंचना चाहिए था जैसा कि दूसरे सीएम भी करते हैं. पीएम की सुरक्षा एसपीजी देखती है जो एक प्रोफेशनल बॉडी है. 


ममता का बयान - बंगाल के मुख्यसचिव को लेकर केंद्र के फैसले पर स्तब्ध हुईं. ये आदेश राज्य से बिना संपर्क किए, एकतरफा जारी किया गया जो गैरकानूनी, असंवैधानिक है. 


केंद्र का दावा- मुख्यसचिव के संबंध में लिए गए फैसले पूर्णतः संवैधानिक हैं, क्योंकि वो ऑल इंडिया सर्विस के अधिकारी हैं. उन्होंने अपना संवैधानिक दायित्व का निर्वहन नहीं किया और प्रधानमंत्री को बंगाल के अधिकारियों द्वारा कोई भी आधिकारिक प्रेजेंटेशन नहीं दिया गया. चीफ सेक्रेटरी को रिटायर करना इस बात को दर्शाता है कि ममता बनर्जी बैकफुट पर हैं और वो इस बात की गंभीरता को समझ चुकी हैं कि अपने संवैधानिक दायित्य का निर्वहन नहीं करने के लिए मुख्य सचिव पर गंभीर कार्रवाई हो सकती है. ये अपेक्षा की जाती है कि कोई भी अखिल भारतीय अधिकारी किसी राज्य की पार्टी पॉलिटिक्स में नहीं पड़ सकता. इसलिए ममता बनर्जी ने उन्हें रिटायर करके मुख्यसचिव को बचाने की आखिरी कोशिश की.


ममता का बयान - कुछ ही दिनों पहले केंद्र ने मुख्य सचिव को सेवा विस्तार देने पर सहमति दी थी. 24 मई को उनकी सेवा को विस्तार देने पर लिखित सहमति केंद्र ने दी. 


केंद्र का जवाब- ये दिखाता है कि केंद्र सरकार ने बिना किसी भेदभाव और पूर्वाग्रह के बंगाल के मुख्य सचिव को सेवा विस्तार देने की पूरी प्रक्रिया को किया. 


ममता का बयान - आपने मीटिंग की पुनरावृत्ति कार्यक्रम में अपनी पार्टी के एक लोकल एमएलए को बुलाया. हमने गवर्नर या केंद्रीय मंत्री के बैठक में उपस्थिति पर प्रश्न नहीं लगाए. 


केंद्र का दावा - वो विधायक बंगाल में विपक्ष का नेता और तूफान से प्रभावित इलाके का लोकल प्रतिनिधि भी है. इससे पहले भी गैर बीजेपी शासित राज्यों में अनेकों ऐसे बैठक के उदाहरण हैं, जिसमें बीजेपी विपक्ष के नेता को बुलाया गया.


ममता का बयान - चीफ सेक्रेटरी ने एक ऊंचे अधिकारी को मैसेज भेजा कि समस्या के निदान के लिए सम्पूर्ण बैठक से पहले पीएम और सीएम ममता की एक मुलाकात अलग हो जाए. 


केंद्र का दावा- ममता बनर्जी को विपक्ष के नेता की मौजूदगी से दिक्कत थी, इसलिए उन्होंने बैठक का बहिष्कार किया. केंद्र के द्वारा कोई समस्या उत्पन्न नहीं की गई थी. उन्हें इस बात को समझाया भी गया था कि रिव्यू बैठक के बाद पीएम उनसे अलग से मिल भी लेंगे. लेकिन उन्हें लगा कि शायद इसके लिए उन्हें अंत तक इंतजार करना होगा, लिहाजा सीएम ने रिव्यू मीटिंग में अपने अधिकारियों को प्रेजेंटेशन देने जाने से रोक दिया और इसकी वजह से रिव्यू मीटिंग कैंसिल करनी पड़ी.


ममता का बयान - मैं बैठक में मुख्यसचिव के साथ रिपोर्ट देने गई, लेकिन आपने मेरे हाथ से इसे ले लिया. मैं आपसे अनुमति लेकर अपनी अगली बैठक के लिए दीघा निकल गई. आपने अपने भंगिमा से हमें इसकी इजाजत भी दी. 


केंद्र का दावा- प्रधनमंत्री ने ममता बनर्जी को बैठक छोड़कर जाने की कोई अनुमति नहीं दी थी.