Ladakh Protest: लद्दाख को छठी अनुसूची के तहत दर्जा देने की मांग को लेकर किए जा रहे आंदोलन में शामिल कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने मंगलवार (16 अप्रैल) को यहां कहा कि उन्होंने स्थानीय प्रशासन के 'असहयोग' के कारण इस महीने दूसरी बार चीन सीमा तक अपने प्रस्तावित मार्च को रद्द कर दिया.


सामाजिक और धार्मिक समूहों के संगठन ‘लेह एपेक्स बॉडी’ (एलएबी) ने करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) के साथ मिलकर बुधवार (17 अप्रैल) को अपना मार्च शुरू करने की योजना बनाई थी.


क्यों रद्द किया गया चीन की सीमा तक का मार्च?
वांगचुक ने दावा किया कि मार्च का मकसद केवल यह जानना था कि क्या बड़े उद्योगपतियों द्वारा परियोजनाएं स्थापित करने के लिए क्षेत्र में चरागाहों पर कब्जा किया जा रहा है और क्या चीन ने भारतीय जमीन छीनी है? उन्होंने संवाददाताओं से कहा, 'प्रशासन के अति-प्रतिक्रियावादी रूख के कारण हमने दूसरी बार ‘पश्मीना मार्च’ को रद्द करने का फैसला किया है.'


लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने की हो रही मांग
ये समूह लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने और इसे संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहा है. वांगचुक ने कहा कि प्रशासन ने उन्हें पैदल मार्च करने की अनुमति नहीं दी और इसके बजाय वाहनों में क्षेत्र में जाने का सुझाव दिया. उनके साथ एलएबी के सह-अध्यक्ष चेरिंग दोरजे सहित अन्य नेता थे. उन्होंने कहा, “वाहनों में वहां जाने से हमारा उद्देश्य पूरा नहीं होगा क्योंकि हम अपने चरवाहों के साथ मिलकर सच्चाई दिखाना चाहते हैं.” 


सोनम वांगचुक का क्या था प्लान?
वांगचुक ने कहा, “हम सिर्फ 12 व्यक्तियों के एक छोटे समूह में वहां जाने की योजना बना रहे थे और उम्मीद कर रहे थे कि सरकार बाहरी दुनिया को यह दिखाने के लिए हमारी यात्रा में मदद करेगी कि चरवाहों को उनकी चारागाह भूमि से वंचित किए जाने की समस्या नहीं है और हमारी भूमि का एक इंच भी कहीं नहीं गया है.” उन्होंने हाल में 21 दिन की भूख हड़ताल की थी.


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