Maharashtra violence: महाराष्ट्र के अमरावती में हुई हिंसा के पीछे कई लोगों के शामिल होने का शक महाराष्ट्र पुलिस को है. महाराष्ट्र पुलिस की आंतरिक रिपोर्ट की माने तो इस हिंसा में ना सिर्फ कुछ मुस्लिम संगठन थे, बल्कि राजनीतिक पार्टियों के भी नाम सामने आ रहे हैं. महाराष्ट्र पुलिस इन सारे नामों की और उनके कथित रोल की जांच कर रही है. महाराष्ट्र पुलिस के सूत्रों ने बताया कि उन्हें शक है कि रजा अकादमी के अलावा बीजेपी और युवा सेना के लोगों ने भी अमरावती में तोड़फोड़ कर लॉ एंड ऑर्डर को बिगाड़ा था.


सूत्रों की माने तो इंटेलिजेंस विभाग ने इस हिंसा के बाद एक रिपोर्ट तैयार है, जिसकी एक प्रति महाराष्ट्र गृह विभाग को महाराष्ट्र पुलिस की तरफ से भेजी गई है, जिसमें लिखा गया है कि इस हिंसा को भड़काने के लिए सबसे बड़ा हथियार के रूप में सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया गया था. महाराष्ट्र में मालेगांव, अमरावती और नांदेड़ में हुई हिंसा को उकसाने के लिए सोशल मीडिया पर इस हिंसा से पहले 60 से 70 ऐसी पोस्ट डाली गई थी, जिनसे लोगों में गुस्सा पैदा हो.


सूत्रों ने यह भी बताया है कि ये वो पोस्ट थे जिसका वास्तविकता से कोई संबंध नहीं था. इन सोशल मीडिया पोस्ट में से एक फेक पोस्ट ये भी थी कि त्रिपुरा में कई मस्जिदों को जमींदोज कर दिया गया है. इसके बाद इन 60-70 सोशल मीडिया पोस्ट को हजारों की संख्या में व्हाट्सएप पर भी फॉरवर्ड किया गया था, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को इन कथित सुनियोजित हिंसा का हिस्सा बनाया जा सके.


सोशल मीडिया पर फैलाई गई अफवाह


रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि सबसे पहले शुरुआत 29 अक्टूबर से हुई, जब पीएफआई ने जिलाधिकारी कार्यालय जाकर अपना विरोध जताया था. इसके बाद 01 नवंबर को जय संविधान संगठन भी जिलाधिकारी कार्यालय पहुंच कर विरोध जताया था. फिर 6 नवंबर के दिन सरताज की एक तीन मिनट की ओडियो रिकॉर्डिंग को सोशल मीडिया पर वायरल किया गया, जिसके जरिए यह अफवाह फैलाई गई कि त्रिपुरा में कई मस्जिदों को जमींदोज कर दिया गया है. फिर यह आग धीरे-धीरे बड़ी हो गई और 12 नवंबर को रजा अकादमी की तरफ से विरोध प्रदर्शन करने के लिए बंद के आयोजन करने की बात को सोशल मीडिया पर डाला गया.


इसके बाद 12 तारीख को ही अमरावती में हिंसा हुई. इस मामले में अमरावती पुलिस ने अब तक 10 मामले दर्ज किए हैं. एजेंसियों को कुछ ऐसी भी जानकारी मिली है कि एमआईएम आर्मी, रजा अकादमी वेलफेयर सोसाइटी अमरावती और जमात अहिले सुन्नत से जुड़े लोग इस हिंसा में शामिल लोगों को उकसाने के पीछे जिम्मेदार हैं. इस संदर्भ में महाराष्ट्र पुलिस जांच कर रही है. पुलिस को रजा एकादमी के कुछ बैनर भी मिले हैं.


इसके बाद 13 नवंबर को दोबारा से सोशल मीडिया पर कैंपेन किया गया. इस बार यह कैंपेने मुस्लिम संगठनों द्वारा नहीं, बल्कि राजनीतिक दलों की ओर एक दिन पहले हुई हिंसा के विरोध में किया गया. सूत्रों की माने तो 12 नवंबर की हिंसा का विरोध करने के लिए 13 नवंबर को बंद का आयोजन किया गया, जिसके पीछे बीजेपी, बजरंग दल और युवा सेना के लोगों के होने की बात सामने आ रही है. बीजेपी ने तो बाकायदा सोशल मीडिया पर कैंपन शुरू कर दिया था. महाराष्ट्र पुलिस सूत्रों ने बताया कि नाम तो सामने कई आ रहे हैं, पर इनको वेरिफाई करने का काम और फिर उन पर कार्रवाई करने की प्रक्रिया अभी भी चल रही है.


मालेगांवा हिंसा के बाद पुलिस का एक्शन


मालेगांव शहर में पत्थर फेंकने की घटना के बाद से बंद का आयोजन करने वाली रजा अकादमी अब पुलिस के रडार पर है. बीती रात स्थानीय पुलिस ने मालेगांव इलाके में लल्ले चौक के पास स्थित रजा अकादमी के कार्यालय में छापा मारा. इस छापेमारी के दौरान बंद से जुड़े कई सारे पत्रिका और दस्तावेज मिले हैं. सूत्रों ने बताया कि जब पुलिस छापेमारी के लिए गई, तो वहां पर ताला लगा हुआ था. इसके बाद पंच के सामने कार्यालय का ताला तोड़कर छापेमारी की गई. इस छापेमारी के दौरान कार्यालय से कंप्यूटर, रजिस्टर, धार्मिक पुस्तक और बंद का अह्वान करने वाली पत्रिका मिली है, जो की उर्दू भाषा में लिखी थी. पुलिस, रजिस्टर और कुछ पुस्तकों का भी अध्ययन कर रही है.


मालेगांव में अब तक पुलिस ने कुल 5 मामले दर्ज किए हैं, जिनमें कुल 42 लोगों को गिरफ्तार किया. पुलिस अब भी उस इलाके के सीसीटीवी कैमरा फुटेज की जांच कर रही है. इस हिंसा में सरकारी प्रॉपर्टी का नुकसान हुआ था. इसके अलावा पुलिसवालों पर भी पत्थर फेंके गए थे. पुलिस ने रजा अकादमी से जुड़े डॉक्टर रईस रिजवी, शेख अकरम और शेख आरिफ के खिलाफ मामला दर्ज किया है.


अमरावती में पुलिस की कार्रवाई


अमरावती में हुई हिंसा के बाद से पुलिस ने 35 मामले दर्ज किए हैं, जिनमें अब तक 198 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. गिरफ्तार किए गए लोगों में 24 बीजेपी से जुड़े लोग हैं, जिनमें  तीन पूर्व मंत्री भी हैं.


नांदेड़ में भी पुलिस की करवाई


नांदेड़ में हुई हिंसा के बाद से वहां पर अब तक 84 एफआईआर हुई है, जिनमें अब तक 64 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.


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