Siddique Kappan Case: हाथरस मामले (Hathras Rape Case) पर हिंसा भड़काने की साज़िश रचने के आरोप में गिरफ्तार पत्रकार सिद्दीक कप्पन (Siddique Kappan) की ज़मानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने नोटिस जारी किया. कोर्ट ने कहा है कि 9 सितंबर को मामले का निपटारा कर दिया जाएगा. 5 अक्टूबर 2020 को मथुरा से गिरफ्तार सिद्दीक पर UAPA की धाराएं लगी हैं. इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) मामले को गंभीर बताते हुए उसे जमानत देने से मना कर चुका है. 


हाथरस की एक बलात्कार पीड़िता की मौत के बाद बने तनावपूर्ण माहौल में 5 अक्टूबर 2020 को यूपी पुलिस ने चार लोगों को मथुरा में गिरफ्तार किया था. दिल्ली से मथुरा जा रहे इन लोगों के पास से हिंसा के लिए उकसाने वाली सामग्री ज़ब्त की गई थी. जिन 4 लोगों को गिरफ्तार किया गया था उनमें सिद्दीक कप्पन, अतीक उर रहमान, आलम और मसूद थे.  इनमें से सिद्दीक का दावा था कि वह केरल की एक वेबसाइट के लिए काम करने वाला पत्रकार है और वह रिपोर्टिंग करने के लिए हाथरस जा रहा था. 


सिद्दीक कप्पन को लेकर क्या है यूपी सरकार का दावा?
यूपी सरकार ने कहा था कि सिद्दीक विवादित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) का कार्यालय सचिव है. उसने पत्रकार होने की आड़ ले रखी है. केरल के जिस अखबार तेजस का पहचान पत्र को बतौर पत्रकार वह दिखाता है, वह 2018 में ही बंद हो चुका है. उसके साथ गिरफ्तार किए गए बाकी तीनों लोग पीएफआई के छात्र संगठन केंपस फ्रंट ऑफ इंडिया के सक्रिय सदस्य हैं. अब तक हुई जांच में मामले में गहरी साजिश के सबूत मिल रहे हैं. पूरे इलाके को जातीय हिंसा की आड़ में झोंकने की साजिश रची गई थी. इसके लिए PFI ने उन्हें पैसे भी दिए थे. 


आज क्या हुआ?
सिद्दीक कप्पन की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने पूरे मामले को झूठा बताया. उन्होंने कहा कि कप्पन पहले PFI का सदस्य था. लेकिन हाथरस जाने का मकसद रिपोर्टिंग ही था. वैसे भी, PFI कोई प्रतिबंधित संगठन नहीं है. फिर उससे संबंध की बात को ऐसे क्यों दिखाया जा रहा है, जैसे इसमें कुछ गलत हो.


यूपी सरकार की एडिशनल एडवोकेट जनरल गरिमा प्रसाद ने कहा कि मामला बहुत गंभीर है. इसमें कुल 8 गिरफ्तारियां हुईं. चार्जशीट भी दाखिल हुई है. एक आरोपी ज़मानत पाकर फरार हो गया है. इसलिए, निचली अदालत में कार्रवाई आगे नहीं बढ़ पा रही है. 2 जजों की बेंच की अध्यक्षता कर रहे चीफ जस्टिस यू यू ललित (Justice U U Lalit) ने कहा कि यूपी सरकार को जो भी कहना है, वह लिखित जवाब में कहे. 9 सितंबर को मामला सुना जाएगा.


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