कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजे कुछ ही देर में साफ होने वाले हैं. नतीजों से पहले रुझानों ने तस्वीर साफ कर दी है जिसमें कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरती दिख रही है. राज्य में गिनती सुबह 8 बजे से ही शुरू हो गई थी. दक्षिण भारतीय राज्य कर्नाटक में 10 मई को वोटिंग हुई थी. इस चुनाव में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के अलावा जेडीएस के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिली. 


रुझानों के हिसाब से राज्य में कांग्रेस की सरकार बनती नजर आ रही है लेकिन सवाल उठता है कि अगर कांग्रेस जीतती है तो पार्टी की तरफ से सीएम पद का दावेदार कौन होगा? वर्तमान में इस रेस में सबसे आगे सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार सबसे आगे हैं. 


हालांकि आउटलुक की खबर में सिद्धारमैया से पूछा गया कि मुख्यमंत्री पद को लेकर उनके और शिवकुमार के बीच कोई अनबन तो नहीं है. इसके जवाब में सिद्धारमैया कहते हैं, 'कांग्रेस ने अभी तक अपने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है. हां, वह एक दावेदार है.


कांग्रेस में प्रथा रही है कि पार्टी कभी भी परिणाम से पहले मुख्यमंत्री के चेहरे का खुलासा नहीं करती, खासकर कर्नाटक में. यह एक बहुत ही लोकतांत्रिक प्रक्रिया जो सालों से चलता आ रहा है. अगर पार्टी बहुमत के साथ सत्ता में आती है तो पहले चुने हुए विधायक अपनी राय देंगे. फिर 'हाईकमान' फैसला करेगा.' 


हालांकि पार्टी कार्यकर्ताओं का कहना है कि अगर कांग्रेस को बहुमत मिलती है तो सिद्धारमैया और डीकेएस के बीच शीर्ष पद के लिए लड़ाई तेज हो जाएगी. एक कांग्रेस विधायक कहते हैं कि सिद्धारमैया ज्यादा अनुभवी और वरिष्ठ नेता हैं और उनके पास सरकार चलाने का अनुभव है. जबकि डीकेएस चुनौती देने वाले नेता हैं और सोनिया गांधी की बात सुनते हैं. हालांकि अंतिम निर्णय 'आलाकमान' का ही होगा. 


सिद्धारमैया 


कर्नाटक विधानसभा चुनाव किस पार्टी के सिर जीत का ताज सजेगा, यह आज स्पष्ट तो हो ही जाएगा. अगर कांग्रेस जीतती है तो राज्य में कांग्रेस के सबसे बड़े नेता सिद्धारमैया को फिर से मुख्यमंत्री पद का प्रबल दावेदार माना जा रहा है. 


सिद्धारमैया साल 2013 से लेकर साल 2018 तक कर्नाटक के मुख्यमंत्री का पद संभाल चुके हैं. आज यानी 13 मई को चुनावी परिणाम के बाद अगर कांग्रेस 113 सीट लाने में कामयाब हो जाती है और बहुमत के साथ जीतती है तो वो सिद्धारमैया की पार्टी की पहली पसंद हो सकते हैं. 


पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अपने सीएम कार्यकाल के दौरान 'सामाजिक-आर्थिक सुधार योजनाओं" से कई बदलाव लाए. उन्होंने गरीबों के लिए कई योजनाएं शुरू किए. उनकी सात किलो चावल देने वालाअन्न-भाग्य योजना, स्कूल जाने वाले सभी छात्रों को 150 ग्राम दूध दिए जाने वाला क्षीर-भाग्य योजना और इंदिरा कैंटीन ने राज्य के गरीबों को काफी राहत दी है. 


सिद्धारमैया ने अपने कार्यकाल के दौरान राज्य में भूख, शिक्षा, महिला और नवजात मृत्यु दर से निपटने वाली योजनाओं की शुरुआत की जिसने राज्य के लाखों गरीब परिवार को राहत दी. अपने कार्यकाल के दौरान सिद्धारमैया ने महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए स्नातक की पढ़ाई पूरी होने तक लड़कियों की मुफ्त शिक्षा, कॉलेज छात्रों को लैपटॉप, पंचायतों में महिलाओं का होना अनिवार्य  करना और गर्भवती होने के बाद से 16 महीने तक महिलाओं के लिए पौष्टिक भोजन की योजना शामिल है. 


हालांकि सिद्धारमैया ने अपनी पिछली सरकार के दौरान कुछ ऐसे फैसले भी लिए थे जो उन्हें लिंगायत, विशेष रूप से हिंदू वोटरों के बीच में कम लोकप्रिय कर दिया है. जिसमें टीपू सुल्तान को इतिहास से हटाकर उनका महिमामंडन करना, जेल से आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे पीएफआई और एसडीपीआई के कई कार्यकर्ताओं को रिहा करना आदि शामिल हैं.


डीके शिवकुमार 


डीके शिवकुमार ने बीते शुक्रवार यानी 12 मई को एक ट्वीट किया है, जिससे यह साफ संकेत मिल रहा है कि डीके शिवकुमार ने राज्य के मुख्यमंत्री पद की दावेदारी पेश कर दी है. दरअसल, कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजों से ठीक एक दिन पहले डीके शिवकुमार ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के रूप में अपनी तीन सालों की मेहनत का ट्रेलर का वीडियो साझा करते हुए कहीं ना कहीं मुख्यमंत्री पद की दावेदारी पेश कर दी है.


डीके शिवकुमार वह कनकपुरा सीट से लगातार 8 बार विधायक रह चुके हैं. शिवकुमार का राज्य का मुख्यमंत्री बनने का सपना बेहद पुराना है. साल 2018 के चुनाव में भी वो चूक गए थे. 


इस विधानसभा चुनाव में बीजेपी को हराने का शिवकुमार का संकल्प राजनीतिक और व्यक्तिगत दोनों है. वह अब भी उस अपमान से चिढ़ते हैं जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग और टैक्स चोरी के आरोप में साल 2019 में उन्हें दिल्ली के तिहाड़ जेल में दो महीने बिताने पड़े थे. 


डीके शिवकुमार का कहना है कि जेल में रहने के दौरान उनके साथ नियम पुस्तिका के खिलाफ सबसे कठोर व्यवहार किया गया था क्योंकि उनकी गिरफ्तारी राजनीतिक प्रतिशोध थी. शिवकुमार के अनुसार जेल में रहने के दौरान उन्हें एक छोटी, गंदी कोठरी में रखा गया था, जिस पर तेज रोशनी थी और एक कैमरा दिन-रात उन्हें फिल्मा रहा था.


बीजेपी के अलावा शिवकुमार की अपनी ही पार्टी के भीतर यानी कांग्रेस के भीतर पर्याप्त प्रतिद्वंद्वी हैं. पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया राज्य के सबसे अनुभवी नेता माने जाते हैं. वह पहले भी मुख्यमंत्री का पद संभाल चुके हैं. पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच भी सिद्धारमैया का कद कहीं ज्यादा है. इसके अलावा अगर सभी विधायकों के बहुमत के साथ भी फैसला लिया जाता है तो सिद्धारमैया अन्य राजनीतिक दलों के लिए अधिक स्वीकार्य मुख्यमंत्री चेहरा होंगे. डीकेएस ने विपक्षी खेमे में बहुत सारे दुश्मन बना लिए हैं.


मल्लिकार्जुन खरगे भी बन सकते हैं सूबे के मुख्यमंत्री 


मुख्यमंत्री पद के दावेदार को लेकर सिद्धारमैया और शिवकुमार के अलावा मल्लिकार्जुन खरगे का नाम भी सामने आ रहा है. हाल ही में मल्लिकार्जुन ने कोलार की एक जनसभा में सार्वजानिक तौर पर कहा था कि, 'सबको ये बात साफ कर देना चाहता हूं कि मैं इस बात को लेकर जरा भी परेशान नहीं हूं कि सीएम कौन बनेगा. मेरी एक ही चिंता है कि कांग्रेस को सत्ता में वापस आना चाहिए, जिससे इंदिरा कैंटीन, छात्रों को पढ़ने के लिए मुफ्त किताबें और जनता के बीच लोकप्रिय अन्य योजनाएं फिर से शुरू की जा सकें. सीएम का चुनाव आलाकमान और विधायकों के फैसले से होता है. आप सिर्फ जनता के बारे में सोचें और बाकी फैसले आलाकमान पर छोड़ दें'.


कर्नाटक में दो गुट


कर्नाटक में आज रिजल्ट आने वाले हैं लेकिन चुनाव से पहले ही दो ताकतवर गुट आमने- सामने आ गए थे. पहला गुट है वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का और दूसरा है डीके शिवकुमार का. दोनों नेताओं के समर्थक खुलकर एक दूसरे पर वार करते नजर आए हैं. दोनों नेताओं के बीच कर्नाटक का मुख्यमंत्री बनने को लेकर खींचतान अभी बनी हुई है.