Shivpal Singh Yadav Support to Droupadi Murmu: 18 जुलाई को राष्ट्रपति पद (President) के लिए चुनाव होने हैं, शिवपाल सिंह यादव (Shivpal Singh Yadav) ने कहा कि वो इस चुनाव में एनडीए कैंडिडेट (NDA Candidate) द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) का समर्थन करेंगे. शिवपाल यादव ने कहा इसके पहले भी उन्होंने रामनाथ कोविंद को वोट दिया था. समाजवादी पार्टी (SP) ने उनसे राष्ट्रपति चुनाव के बारे में कुछ भी नहीं बोला था और रामनाथ कोविंद ने उन्हें दो बार बोला था, जिसके बाद उन्होंने कोविंद को वोट दिया था और वो जीतकर भी आए. सपा के प्रति नाराजगी दिखाते हुए शिवपाल ने कहा कि इस बार भी सपा ने मुझसे एक बार भी नहीं कहा कि राष्ट्रपति चुनाव में किसे वोट करना है. द्रौपदी मुर्मू जी ने हमसे वोट मांगा और हमने उनको आश्वासन दे दिया. 


शिवपाल यादव ने बताया कि अगर उत्तर प्रदेश के उपचुनावों में अखिलेश यादव उन्हें पार्टी का स्टार प्रचारक बनाते तो शायद वो अपना किला आजमगढ़ कभी नहीं गंवाते. उन्होंने कहा अगर मैं आजम गढ़ में चुनाव प्रचार करता तो शायद परिणाम कुछ और होता. मुझे साल 2014 में जिम्मेदारी नहीं दी गई नतीजा सबने देखा. एक बार फिर मुझे साल 2017 के विधानसभा चुनाव में दरकिनार किया गया इस चुनाव में सपा बुरी तरह से हारी. जब उनसे विपक्ष के उम्‍मीदवार यशवंत सिन्‍हा को वोट देने के लिए कहा गया तो शिवपाल यादव ने बताया कि यशवंत सिन्हा ने उनसे समर्थन नहीं मांगा. 


जिसने पहले समर्थन मांगा हमने दिया
शिवपाल यादव ने बताया कि हमसे जिसने पहले समर्थन मांग लिया, हमने उसको दे दिया. इसके पहले भी हमने रामनाथ कोविंद जी को वोट किया था, क्योंकि उन्होंने हमसे पहले समर्थन मांगा था. 8 जुलाई को राष्‍ट्रपति पद के दोनों उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू और यशवंत सिन्हा दोनों ही लखनऊ आए थे. शिवपाल सिंह यादव की प्रेस कॉन्फ्रेंस में कोई भी शामिल नहीं हुआ था, लेकिन शाम को द्रौपदी मुर्मू की डिनर पार्टी में शिवपाल यादव देखे गए थे. 


फिर छलका शिवपाल का दर्द
उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री शिवपाल सिंह यादव (Shivpal Singh Yadav) का एक बार फिर दर्द छलका. शिवपाल ने बताया कि उनकी पार्टी को सपा (SP) में शामिल करके अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने ये वादा किया था कि उन्हें पूरे राज्य में टिकट दिया जाएगा, लेकिन अखिलेश (Akhilesh) ने उनके साथ एक बार फिर धोखा किया. अखिलेश यादव ने शिवपाल (Shivpal) और उनके कार्यकर्ताओं (Workers) की अनदेखी करते हुए उन्हें न तो सम्मान दिया और न ही कोई जिम्मेदारी दी यही वजह है कि आज वो सत्ता से बाहर हैं. 


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