नई दिल्ली: महाराष्ट्र में राजनीतिक खींचतान आज भी जारी रही. आदित्य ठाकरे के नेतृत्व में आज शिवसेना के नेताओं ने राजभवन जाकर राज्यपाल से मुलाकात की और सरकार गठन के लिए और अधिक वक्त मांगा. राज्यपाल ने इससे इनकार कर दिया.


दिल्ली में सोनिया गांधी ने शिवसेना को समर्थन देने के मुद्दे पर वरिष्ठ नेताओं की राय ली. इस बैठक में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण, पृथ्वीराज च्व्हाण, राजीव सातव, अहमद पटेल और एके एंटनी मौजूद थे. सोनिया गांधी ने महाराष्ट्र के अपने सभी 44 विधायकों में से कुछ को फोन किया और शिवसेना को समर्थन देने के मुद्दे पर राय मांगी. विधायकों को हॉर्स ट्रेडिंग की डर से जयपुर में होटल में रखा गया है.


सूत्रों के मुताबिक, ज्यादातर विधायकों ने शिवसेना को बाहर से समर्थन देने की बजाय सरकार में शामिल होने की बात पर जोर दिया. सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस ने सैद्धांतिक तौर पर शिवसेना को समर्थन दिया है. सरकार में शामिल होंगे या नहीं इसका फ़ैसला बाद में होगा.


उद्धव ने मिलाया सोनिया को फोन
सरकार गठन में संख्याबल की कमी की वजह से शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से फोन पर बात की और उनसे महाराष्ट्र में सरकार गठन के लिए उनकी पार्टी का समर्थन मांगा. सूत्रों के मुताबिक, सोनिया गांधी ने उद्धव ठाकरे से कहा कि मुझे पहले अपने विधायकों से बात करने दीजिए. विधायकों से बातचीत के बाद शिवसेना को समर्थन देने का फैसला लिया गया.


शरद पवार से मिले उद्धव
उद्धव ठाकरे ने सोनिया गांधी से मुलाकात से पहले मुंबई में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार से मुलाकात की. ठाकरे ने पवार से महाराष्ट्र में सरकार गठन के लिए उनकी पार्टी के समर्थन का अनुरोध किया. सूत्रों ने बताया कि 45 मिनट की इस बैठक के दौरान दोनों नेताओं ने कृषि मुद्दे समेत ‘न्यूनतम साझा कार्यक्रम’ पर भी चर्चा की जो सरकार बनने की स्थिति में उनकी सरकार के लिए दिशानिर्देश का काम करेगा.


सरकार गठन में क्यों हुई देरी?
महाराष्ट्र में सभी 288 सीटों पर 21 अक्टूबर को वोट डाले गए थे. इस चुनाव में शिवसेना-बीजेपी और एनसीपी कांग्रेस गठबंधन कर चुनाव लड़ी. 24 अक्टूबर को नतीजों की घोषणा की गई. इस चुनाव में बीजेपी को 2014 के चुनाव के मुकाबले 17 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा. शिवसेना ने मौका देख बीजेपी को पुराने वादे की याद दिलाई.



चुनाव नतीजों के दिन ही उद्धव ठाकरे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि अब वक्त आ गया है कि बीजेपी अपना वादा पूरा करे. शिवसेना का कहना है कि लोकसभा चुनाव से पहले उद्धव ठाकरे, अमित शाह और देवेंद्र फडणवीस के बीच बैठक हुई थी. इस बैठक में अमित शाह ने उद्धव ठाकरे से दावा किया था कि विधानसभा चुनाव के बाद सरकार में 50-50 के फॉर्मूले पर काम होगा. 50-50 का मतलब है शिवसेना और बीजेपी का नेता ढाई-ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री बनेगा.



बीजेपी ने इस फॉर्मूले से इनकार किया और कहा कि मुख्यमंत्री तो देवेंद्र फडणवीस ही होंगे. शिवसेना अपनी मांग पर अड़ी रही. इस बीच शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी की तरफ समर्थन के लिए इशारा किया. एनसीपी दबी जुबान से समर्थन देने की बात कहती रही लेकिन कांग्रेस राजी नहीं हुई. हालांकि सूबे में राष्ट्रपति शासन लगने की आहट को देखते हुए कांग्रेस के कुछ नेताओं का कहना हुआ कि पार्टी शिवसेना को समर्थन दे.


क्या कहता है सीटों का गणित?
महाराष्ट्र में विधानसभा की 288 सीटें है और सरकार बनाने के लिए 145 सीटों की जरूरत होती है. चुनाव में बीजेपी ने 105, शिवसेना ने 56, एनसीपी ने 54 और कांग्रेस ने 44 सीटें जीती है.