मुंबई: अगले लोकसभा चुनाव से पहले शिवसेना और बीजेपी के बीच तल्खी बढ़ती जा रही है. जिसके बाद यह सवाल उभर रहा है कि क्या महाराष्ट्र और केंद्र में बीजेपी की सहयोगी शिवसेना आगे भी गठबंधन बरकरार रखेगी? बीजेपी शिवसेना से गठबंधन को लेकर लगातार कोशिश कर रही है.


सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, राजनाथ सिंह और नितिन गडकरी जल्द ही मातोश्री जाकर उद्धव ठाकरे से मुलाकात कर सकते हैं. पिछले दिनों अमित शाह ने खुद उद्धव ठाकरे से लोकसभा चुनाव में गठबंधन को लेकर फोन पर बातचीत की थी. इस दौरान ठाकरे ने गठबंधन को लेकर कई शर्तें रखी.


उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना ने आज भी बीजेपी पर तंज कसे. शिवसेना ने कहा कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू की दिल्ली में भूख हड़ताल के दौरान पार्टी नेता संजय राउत की उनसे मुलाकात महज शिष्टाचार भेंट थी.


उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी ने कहा कि ऐसी क्या गारंटी है कि लोकसभा चुनाव के बाद सरकार गठन के लिए अगर कुछ संख्या बल कम पड़े तो बीजेपी अपनी पूर्व सहयोगी नायडू के नेतृत्व वाली टीडीपी से संपर्क नहीं करेगी.


शिवसेना के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य संजय राउत सोमवार को अचानक नायडू के अनशन स्थल पर पहुंचे थे. आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर नायडू ने कल अनशन किया था. राउत ने कहा था कि वह पार्टी के प्रतिनिधि के तौर पर कार्यक्रम में शामिल हुए.


नायडू के साथ राउत की मुलाकात को सही ठहराते हुए शिवसेना ने पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में कहा कि उसके नेता ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री से महज ‘‘शिष्टाचार भेंट’’ की क्योंकि उनका राज्य दो भागों में बंट गया है.


संपादकीय में कहा गया, ‘‘हम भी राज्यों के बंटवारे के खिलाफ हैं. लेकिन हमारी मुलाकात को ऐसे देखा जा रहा है जैसे सरकार पर आसमान टूट पड़ा हो.’’ संपादकीय के अनुसार, ‘‘क्या गारंटी है कि लोकसभा चुनावों के बाद सरकार गठन के लिए जरूरत पड़ने पर बीजेपी के वरिष्ठ नेता नायडू के दरवाजे पर दस्तक नहीं देंगे?’’


इसमें कहा गया है, ‘‘नायडू जब तक एनडीए के साथ थे तब तक वह एक ‘बेहतरीन नेता’ रहे और अब वह अचानक ‘अछूत’ हो गए हैं.’’ जम्मू कश्मीर में पीडीपी के साथ बीजेपी के गठजोड़ को याद करते हुए शिवसेना ने कहा कि महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली पार्टी के राज्यसभा सदस्य फैयाज अहमद मीर ने संसद हमले के दोषी अफजल गुरु और जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के संस्थापक मकबूल भट के अवशेष को लौटाने की मांग की है.


दोनों को दिल्ली की तिहाड़ जेल में दफनाया गया था. एक खुफिया अधिकारी की हत्या के जुर्म में भट को 11 फरवरी 1984 को फांसी दी गयी थी, जबकि अफजल गुरु को संसद हमला मामले में नौ फरवरी 2013 को फांसी दी गयी.


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शिवसेना ने दावा किया, ‘‘यह मांग हास्यास्पद है. लेकिन यह वही पीडीपी थी जिसके साथ बीजेपी जम्मू कश्मीर में सत्ता में रही. उस वक्त राज्य में अत्यधिक खून खराबा हुआ, कई हमले भी हुए और कुछ लोगों को तो आतंकवादी संबंधों के बावजूद पुरस्कृत किया गया.’’


मराठी दैनिक ने अपने संपादकीय में किसी का नाम लिए बिना कहा कि उस वक्त किसी को भी कोई परेशानी नहीं थी, लेकिन शिवसेना ने जब तेदेपा प्रमुख से शिष्टाचार भेंट की तब इसकी गंभीर आलोचना की गयी. इसने कहा, ‘‘हम पीडीपी और टीडीपी के बीच के अंतर को समझते हैं.’’


शिवसेना केंद्र और महाराष्ट्र में बीजेपी की सहयोगी पार्टी है. उसका दावा है कि महबूबा मुफ्ती की पार्टी की गतिविधियां ‘पाकिस्तान समर्थक’ हैं और उसने मांग की कि इसे ‘राष्ट्र विरोधी’ समझा जाए.


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इसने अपनी राय रखते हुए कहा, ‘‘शिवसेना का हिंदुत्व पर कड़ा रुख रहा है लेकिन हम उन लोगों को अपना दुश्मन नहीं मानते जिनकी विचारधारा हमसे अलग है. हालांकि एआईएमआईएम जहर उगल रही है जो राष्ट्र विरोधी गतिविधि है.’’