कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने सोमवार (15 दिसंबर, 2025) को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर शेयर किए गए एक विश्लेषण को विचारशील और निष्पक्ष करार दिया है. इस विश्लेषण में कांग्रेस पार्टी के भीतर उनकी और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी की वैचारिक प्रवृतियों के बीच के अंतर पर चर्चा की गई है. 

Continues below advertisement

शशि थरूर ने @CivitasSameer नाम के एक्स हैंडल से शेयर किए गए एक लंबे थ्रेड को रिपोस्ट किया है, जिसमें शख्स ने कहा, ‘पार्टी में दो वैचारिक प्रवृतियों का होना कोई समस्या नहीं है. असली समस्या यह है कि कांग्रेस न तो किसी एक रास्ते को चुन पा रही है, न उन्हें एक कर पा रही है और न ही किसी को सुव्यवस्थित तरीके से लागू कर पा रही है.’

राहुल गांधी का ग्रामीण मुद्दों पर केंद्रित होना पार्टी के लिए खतरनाक- विश्लेषण

Continues below advertisement

एक्स पोस्ट में साझा किए गए विश्लेषण में कहा गया कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी का कथित रूप से ग्रामीण मुद्दों पर केंद्रित होना पार्टी के लिए एक खतरनाक बदलाव है, जबकि सांसद शशि थरूर के ज्यादातर विचार शहरों पर केंद्रित होते हैं. इसी आधार पर यह बताया गया कि इन अलग-अलग नजरियों का पार्टी पर क्या असर पड़ता है. 

थ्रेड को शेयर करते हुए शशि थरूर ने क्या कहा?

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट थ्रेड को रिपोस्ट करते हुए कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा, ‘इस विचारपूर्ण विश्लेषण के लिए धन्यवाद, पार्टी में हमेशा से एक से ज्यादा प्रवृतियां रही है. आपकी सोच पूरी तरह से निष्पक्ष है और वर्तमान समय की वास्तविकताओं की एक विशेष धारणा को उजागर करती हैं.’ 

विश्लेषण में नरसिम्हा राव, मनमोहन सिंह का जिक्र

एक्स पोस्ट थ्रेड में Civitas Sameer ने कहा, ‘कांग्रेस सांसद शशि थरूर मोटे तौर पर 1990 के दशक की कांग्रेस की उस प्रवृति और सोच से जुड़े नजर आते हैं, जो शहरी विकास पर केंद्रित, संस्थागत ढांचे पर आधारित और सुधारों के अनुकूल थी.’ यूजर ने तर्क दिया, ‘ये विचार ऐसे समय पर उभरे, जब भारत आर्थिक संक्रमण के दौर से गुजर रहा था और उस दौर में भारत में एक एलीट-नेतृत्व वाला शासन कोई गुण नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक परिस्थिति था.’ 

विश्लेषण में कांग्रेस के पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव, उनके कार्यकाल में वित्त रहे मनमोहन सिंह, पूर्व मंत्री एसएम कृष्णा और योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया का नाम लिया गया. पोस्ट में कहा गया, ‘इन नेताओं की राजनीति नीतियों, संस्थानों और प्रशासनिक दक्षता पर आधारित थी, न कि जन-आंदोलन या सांस्कृतिक जड़ों पर.’

इस विश्लेषण में दावा किया गया कि ऐसे शहरी तकनीक को महत्व देने वाले नेता आज कांग्रेज में हाशिए पर हैं और पिछले कुछ सालों में उन्हें दक्षिणपंथी विचारधारा से ज्यादा पहचान और सम्मान मिला है. यह संकेत मुख्य रूप से केंद्र की सत्तारूढ़ भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की ओर माना जा रहा है.

यह भी पढ़ेंः जब नितिन नबीन की वजह से हुआ नीतीश-मोदी का झगड़ा!