आठ साल के बेटे के साथ बांग्लादेश निर्वासित की गई गर्भवती महिला सोनाली खातून को वापस लाया गया है. केंद्र सरकार ने शुक्रवार (12 दिसंबर, 2025) को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उन्हें मानवीय आधार पर वापस लाया गया है. सरकार ने उन मीडिया रिपोर्ट्स पर भी आपत्ति जताई जिनमें महिला को भारतीय साबित कर मामले को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है.
मुख्य न्यायाधीश सू्र्यकांत (CJI Surya Kant) और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने सरकार की चिंताओं पर कहा कि वह ऐसी रिपोर्ट से प्रभावित नहीं होते हैं. उन्होंने कहा कि मामलों की वजह से उनके पास न्यूज पेपर पढ़ने का समय नहीं होता है. मामले की अगली सुनवाई 6 जनवरी को होगी. कुछ वकीलों ने बांग्लादेश निर्वासित किए गए कुछ और लोगों का मामला रखने की कोशिश की, लेकिन कोर्ट ने फिलहाल उस पर विचार नहीं किया.
3 दिसंबर को पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को निर्देश दिया था कि नाबालिग बच्चे की देखभाल की जाए और बीरभूम जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी को गर्भवती महिला सोनाली खातून को हर संभव चिकित्सा सहायता मुहैया कराई जाए.
पिछली सुनवाई में सोनाली के पिता ने उसे और उसके बच्चे को बंगाल में उनके गृह जिले बीरभूम लाए जाने का अनुरोध किया था. उन्होंने कोर्ट से आग्रह किया था कि बांग्लादेश में सोनाली के पति समेत अन्य लोग भी हैं, जिन्हें भारत वापस लाने की जरूरत है.
सरकार की तरफ से कोर्ट में पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में कहा था कि वह उनके भारतीय नागरिक होने के दावे को चुनौती देंगे. उन्होंने कहा कि वह मानते हैं कि महिला बांग्लादेशी नागरिक हैं. तुषार मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार सिर्फ मानवीय आधार पर उस महिला और उसके बच्चे को भारत में आने की अनुमति दे रही है. इस पर जस्टिस जॉयमाल्या बागची ने कहा था कि अगर महिला यह प्रमाणित कर देती है कि वह भोदू शेख की पुत्री है, तो यह उसकी भारतीय नागरिकता स्थापित करने के लिए पर्याप्त होगा.
सोनाली के पिता ने आरोप लगाया कि दिल्ली के रोहिणी इलाके के सेक्टर 26 में दो दशक से ज्यादा समय से दिहाड़ी मजदूरी करने वाले इन परिवारों को पुलिस ने 18 जून को बांग्लादेशी होने के शक में पकड़ लिया और बाद में 27 जून को सीमा पार भेज दिया.
कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ यह मामला सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया गया था. 26 सितंबर के आदेश में हाईकोर्ट ने सोनाली खातून और अन्य को बांग्लादेश भेजने के केंद्र सरकार के फैसले को रद्द कर दिया था और इस कार्रवाई को अवैध करार दिया था.
(निपुण सहगल के इनपुट के साथ)
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