Sedition Law: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में ऐलान करते हुए बताया है कि राजद्रोह कानून को खत्म किया जा रहा है, इसे लेकर सरकार की तरफ से एक प्रस्ताव पेश किया गया. पिछले कई दशकों से चले आ रहे इस कानून को लेकर काफी विवाद भी हुआ था, कई विपक्षी दलों ने इसे खत्म करने की मांग की थी और इसके दुरुपयोग का आरोप लगाया था. 


तीन कानूनों को किया गया खत्म
केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा, मैं जो तीन विधेयक एक साथ लेकर आया हूं, वो तीनों विधेयक दंड विधान प्रक्रिया, क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम को सुधारने वाले हैं. पहला इंडियन पीनल कोड जो 1860 में बनाया गया, दूसरा है क्रिमिनल प्रोसिजर कोड जो 1898 में बनाया गया और तीसरा है  इंडियन एविडेंस एक्ट जो 1872 में अंग्रेजों की संसद ने पारित किए थे. इन तीनों को आज हम समाप्त कर तीन नए कानून बनाने के लिए आया हूं. 


केंद्रीय गृहमंत्री ने इस दौरान बताया कि अब भारतीय दंड संहिता की जगह भारतीय न्याय संहिता होगी, वहीं सीआरपीसी की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता होगी. इसी तरह एविडेंस एक्ट का नाम बदलकर अब भारतीय साक्ष्य अधिनियम किया गया है और राजद्रोह का कानून खत्म करने का प्रस्ताव रखा गया है. 


कानूनों का मकसद सभी को न्याय देना
गृहमंत्री शाह ने कहा कि ये कानून अंग्रेज शासन को मजबूत करने के लिए बनाए गए थे, जिसका उद्देश्य दंड देने का था, न्याय देने का नहीं था. इन तीनों कानूनों को रिप्लेस कर जो नए कानून बनेंगे उनकी आत्मा भारत के नागरिकों को संविधान के तहत जितने अधिकार मिले हैं, उनकी सुरक्षा करना... इन कानूनों का उद्देश्य दंड देना नहीं होगा, सभी को न्याय देना होगा. अब भारतीय आत्मा के साथ ये तीन कानून लागू होंगे. 


पहले चैप्टर में महिलाओं के खिलाफ अपराध
गृहमंत्री ने बताया कि इन कानूनों को मैं स्टैंडिंग कमेटी को भेजने वाला हूं, इसलिए इन पर ज्यादा नहीं बोलूंगा. उन्होंने कहा, इन कानूनों की प्राथमिकता अलग थी. महिलाओं के साथ दुराचार से बड़ा कोई अपराध नहीं हो सकता है. इसको 302 नंबर पर जगह दी गई थी, इससे पहले राजद्रोह, खजाने की लूट, शासन के अधिकारी पर हमला था. इसी अप्रोच को हम बदल रहे हैं. इसमें सबसे पहला चैप्टर महिलाओं और बच्चों के साथ अपराध, दूसरा चैप्टर मानव हत्या और मानव शरीर को जो अपराध आते हैं उसका आएगा. अमित शाह ने आगे बताया- 



  • चार साल तक इस पर गहन विचार-विमर्श हुआ है. इस पर चर्चा करने के लिए हमने 158 बैठकें की हैं. 

  • भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता जो सीआरपीसी को रिप्लेस करेगी, उसमें अब 533 धाराएं बचेंगीं, 160 धाराओं को बदल दिया गया है, 9 धाराएं नई जोड़ी गई हैं और 9 धाराओं को निरस्त किया गया है. 

  • भारतीय न्याय संहिता जो आईपीसी को रिप्लेस करेगी, इसमें पहले 511 धाराएं थीं, इसकी जगह 356 धाराएं होंगी, 175 धाराओं में बदलाव हुआ है, 8 धाराओं में बदलाव हुआ है और 22 धाराएं निरस्त कर दी गई हैं. 

  • भारतीय साक्ष्य अधिनियम जो एविडेंस एक्ट को रिप्लेस करेगा, उसमें 170 धाराएं होंगी, पहले 167 थीं, 23 धाराओं में बदलाव किया है, एक धारा नई जोड़ी गई है और पांच धाराएं निरस्त की हैं. 


क्या है राजद्रोह कानून?
आईपीसी की धारा 124ए के मुताबिक जब कोई भी व्यक्ति बोले गए या फिर लिखे गए शब्दों या संकेतों या फिर किसी और तरह से समाज में घृणा और उत्तेजित करने की कोशिश करता है या फिर भारत की चुनी हुई सरकार के प्रति असंतोष को भड़काने की कोशिश करता है तो वो राजद्रोह के तहत आरोपी माना जाएगा. इस कानून के तहत गिरफ्तारी के बाद जमानत काफी मुश्किल होती है, क्योंकि ये एक गैर-जमानती अपराध है. इसके तहत तीन साल की सजा से लेकर आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है. 


राजद्रोह के दुरुपयोग के आरोप
राजद्रोह कानून हमेशा से विवादों में रहा, विपक्षी दल सत्ताधारी पार्टी पर इसके दुरुपयोग का आरोप लगाते रहे. केदारनाथ सिंह बनाम बिहार राज्य के मामले में फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून की व्याख्या की थी. जिसमें कोर्ट ने कहा था कि इसे कानून व्यवस्था की गड़बड़ी या फिर हिंसा के लिए उकसाने तक ही सीमित होना चाहिए. 


हालिया मामलों की बात करें तो कांग्रेस नेता शशि थरूर समेत कुछ पत्रकारों के खिलाफ राजद्रोह के तहत मामला दर्ज कर लिया गया था. जिसे लेकर खूब बवाल हुआ. इसके अलावा हाथरस जा रहे पत्रकार सिद्दीकी कप्पन, मणिपुर में सोशल मीडिया पोस्ट के बाद पत्रकार किशोरचंद्र वांगखेम के खिलाफ राजद्रोह के मामले भी खूब चर्चा में रहे. 


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