Delhi Pollution: राजधानी दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण पर रोकथाम के लिए दिल्ली सरकार की ओर से 'रेड लाइट ऑन गाड़ी ऑफ' मुहिम के दूसरे चरण की शुरुआत की गई है. दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने आईटीओ चौक पर पहुंचकर दूसरे चरण की शुरुआत की, जिसमें उन्होंने ट्रैफिक सिग्नल पर खड़े एक दोपहिया वाहन चालक को फूल भी दिया और उनसे यह गुजारिश भी की कि जब भी वे ट्रैफिक सिग्नल पर रेड लाइट पर हों, तो गाड़ी का इंजन ऑफ कर लें. गोपाल राय ने कहा कि कई सर्वे देखे गए हैं, जिसमें ये पाया गया है कि राजधानी दिल्ली में जो वायु प्रदूषण है उसमें सिर्फ 30% प्रदूषण दिल्ली का है, जबकि बाकी का 70% प्रदूषण एनसीआर व अन्य राज्यों से दिल्ली में आता है.


'रेड लाइट ऑन गाड़ी ऑफ' मुहिम से फायदा


दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय का कहना है कि 18 अक्टूबर को 'रेड लाइट ऑन गाड़ी ऑफ' मुहिम की शुरुआत की गई थी, जिसका पहला चरण एक महीने तक चला, जो 18 नवंबर को समाप्त हो गया है. अब इसके दूसरे चरण की शुरुआत 19 नवंबर से की गई है, जो अगले 15 दिनों तक जारी रहेगा. यानी 03 दिसंबर को यह दूसरा चरण समाप्त हो जाएगा. दिल्ली में वायु प्रदूषण काफी बढ़ा है, जिसमें से महज 30% ही दिल्ली से होता है. अगर वाहनों से होने वाले प्रदूषण की बात करें, तो इसकी भी काफी भूमिका है. यही वजह है कि हमने इस मुहिम को 15 दिनों के लिए आगे बढ़ाया है. इसका काफी अच्छा परिणाम देखने को मिल रहा है. औसतन एक व्यक्ति जब अपने घर से अपने कार्यस्थल के लिए निकलता है, तो उसे रास्ते में 10 से 12 सिग्नल पर रुकना पड़ता है. ऐसे में हम गौर करें तो कम से कम 20 मिनट वाहन ट्रैफिक सिग्नल पर रुकता है और यदि इन 20 मिनट में इंजन ऑफ रहेगा, तो प्रदूषण के स्तर में काफी कमी आएगी. वायु प्रदूषण को रोकने के लिए हमने कई और भी समाधान निकाले हैं, जिन पर काम चल रहा है. गोपाल राय ने ये भी कहा कि 21 नवंबर तक जो रोक लगाई गई है, जैसे कंस्ट्रक्शन बंद है, वर्क फ्रॉम होम चल रहा है आदि, उस पर 21 नवंबर को पुनर्विचार किया जाएगा.


कृषि कानून वापसी को बताया किसान आंदोलन की जीत 


गोपाल राय ने कृषि कानूनों की वापसी पर कहा कि ये किसान आंदोलन की जीत है, जिसकी वजह से केंद्र सरकार को झुकना पड़ा है. किसानों ने गर्मी, ठंड और बरसात सह कर इतना लंबा आंदोलन किया है. हालांकि, ये निर्णय काफी देर से लिया गया है, जिसकी वजह से 700 आंदोलनकारियों को अपनी शहादत देनी पड़ी. अगर केंद्र सरकार समय से निर्णय ले लेती, तो इतनी बड़ी संख्या में शहादत नहीं होती. केंद्र सरकार को इन तीनों कानूनों को वापस लेने के साथ-साथ एमएसपी पर भी एक कानून बनाना पड़ेगा, जिससे किसानों के जीवन में खुशहाली आए.


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