Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने मौत की सजा (Death Penalty) सुनाने के लिए एक गाइडलाइन बनाने के मामले को पांच जजों की बेंच के पास सौंप दिया है. कोर्ट ने कहा कि किन परिस्थितियों में और कब मृत्युदंड कम करने पर विचार किया जा सकता है. इस मामले पर अब पांच जजों की बेंच फैसला करेगी. 


कोर्ट ने कहा कि यह आदेश अलग-अलग फैसलों के बीच मतभेद और दृष्टिकोण के कारण जरूरी है. ऐसे सभी मामलों में जहां मौत की सजा एक विकल्प है, कम करने वाली परिस्थितियों को रिकॉर्ड में रखना जरूरी है. मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित और जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट की विभिन्न पीठों द्वारा पारित विभिन्न फैसलों का हवाला दिया.  


5 जजों की बेंच करेगी मृत्युदंड की सजा का फैसला 


पीठ के उदाहर में 1983 में बचन सिंह बनाम पंजाब राज्य का फैसला भी शामिल है, जहां सुप्रीम कोर्ट ने अपने बहुमत के फैसले मौत की सजा की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा, इस शर्त पर कि इसे केवल रेयर मामलों में ही लगाया जा सकता है. कोर्ट का विचार है कि मृत्युदंड की सजा सुनाते वक्त पांच न्यायाधीशों की एक बड़ी पीठ का होना जरूरी है. 


सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया था और कहा था कि यह सुनिश्चित करने की तत्काल जरूरत है कि उन अपराधों के लिए सजा कम करने वाली परिस्थितियों पर सुनवाई के स्तर पर ही विचार किया जाना चाहिए, जिनमें मौत की सजा का प्रावधान है. यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने पिछली सुनवाई (17 अगस्त) के दौरान कहा था कि अदालतें उचित रूप से राहत के लिए सजा देने से पहले मामले को स्थगित कर सकती हैं. एक बड़ी पीठ का होना जरूरी है. 


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