S Jaishankar On Press Index: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार (7 मई) को कहा कि भारत में प्रेस सबसे ज्यादा स्वतंत्र है. रविवार को जारी वर्ल्ड प्रेस इंडेक्स में भारत की कम रैंकिंग को लेकर एक सवाल पर डॉ. जयशंकर ने कहा कि मैं अपने नंबर से हैरान था. मुझे लगा कि हमारे पास सबसे बेकाबू प्रेस है. उन्होंने कहा कि कोई मौलिक रूप से कुछ गलत कर रहा है.


अफगानिस्तान के साथ भारत की तुलना करते हुए विदेश मंत्री ने कहा, 'अफगानिस्तान में हमसे ज्यादा स्वतंत्र प्रेस बताया गया है. क्या आप कल्पना कर सकते हैं?' उन्होंने कहा कि डेमोक्रेसी इंडेक्स, धार्मिक स्वतंत्रता इंडेक्स, प्रेस इंडेक्स, ये सब जब मैं देखता हूं तो ये माइंड गेम नजर आता है. ये माइंड गेम खेलने के तरीके हैं कि जिस देश को आप पसंद नहीं करते हैं, उस देश की रैंक को नीचे कर देते हैं.


वर्ल्ड रैंकिंग में भारत का 161वां नंबर


भारतीय विदेश मंत्री रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर के प्रेस इंडेक्स की रिपोर्ट पर बोल रहे थे. इस रिपोर्ट में भारत को 161वें स्थान पर रखा गया है, जबकि अफगानिस्तान 152वें स्थान पर है. पिछले साल के मुकाबले भारत की रैंकिंग 11 पायदान गिरी है. बीते साल भारत 150वें स्थान पर था.


चीनी राजदूत से क्लास ले रहे राहुल- जयशंकर


चीन को लेकर कांग्रेस की आलोचना पर जयशंकर ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर तंज कसते हुए कहा कि वह चीनी राजदूत से क्लास ले रहे हैं. उन्होंने कहा, "मैंने राहुल गांधी से कहा था कि उन्हें चीन पर क्लास लेनी चाहिए, लेकिन मुझे पता चला है कि वह चीनी राजदूत से चीन पर क्लास ले रहे हैं." जयशंकर ने डोकलाम संकट के दौरान भारत में चीनी राजदूत के साथ राहुल गांधी की मुलाकात का जिक्र भी किया. 


जयशंकर ने कहा, 'राजनीति में सब कुछ राजनीतिक है. मैं इसे स्वीकार करता हूं, लेकिन मुझे लगता है कि कुछ मुद्दों पर हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि हम कम से कम इस तरह से व्यवहार करें कि हम विदेशों में अपनी (भारत की) स्थिति को कमजोर न करें.' 


'जो हुआ वो हम सबकी जिम्मेदारी'


जयशंकर ने कहा कि चीन को लेकर पिछले तीन वर्षों में बहुत भ्रम फैलाने वाले बयान दिए गए. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, 'चीनी पैंगोंग त्सो पर एक पुल बना रहे थे. अब वास्तविकता ये है कि इस विशेष क्षेत्र में चीनी सबसे पहले 1959 में आए थे और फिर 1962 में इस पर कब्जा कर लिया, लेकिन इसे इस तरह से नहीं रखा गया. ऐसा ही कुछ कथित मॉडल गांवों को लेकर भी हुआ था, ये उन क्षेत्रों में बने थे जिन्हें हमने 1962 या उससे पहले गंवा दिया था.'


उन्होंने कहा कि मैं विश्वास करता हूं कि आप शायद ही कभी दोबारा मुझे 1962 कहता सुनेंगे. ये नहीं होना चाहिए था. जो हुआ सो हुआ. विफलता या जिम्मेदारी, जो भी है, यह हम सबकी है. मैं अनावश्यक रूप से इसे राजनीतिक रंग नहीं देना चाहूंगा. मैं चन को लेकर अलग-अलग नजरिए को स्वीकार करने के लिए तैयार हूं लेकिन आप इसे एक तरह से स्लैंगिग मैच तक नीचे ले जाते हैं तो क्या कह सकता हूं.


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