Mohan Bhagwat on India Identity: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने भारत को अपनी ऐतिहासिक पहचान बनाए रखने पर जोर दिया है. सोमवार को उन्होंने कहा कि हमें वैश्विक मंच पर उपहास से बचने के लिए दूसरे देशों की नकल करने से बचना चाहिए. 'कनेक्टिंग विद द महाभारत' पुस्तक के विमोचन के अवसर पर मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने कहा कि भारतीयों ने उन बातों को स्वीकार किया, जिसमें उनके इतिहास, पूर्वजों और सांस्कृतिक प्रथाओं का उपहास करने की कोशिश की गई थी.


आरएसएस प्रमुख (RSS Chief) मोहन भागवत ने कहा कि हमारे इतिहास को पढ़ने और महसूस करने की जरूरत है. हम चीन, रूस या अमेरिका की नकल कर विकास नहीं कर सकते हैं. ये मजाक होगा.


'नकल की बजाय भारत बनकर रहना होगा'


आरएसएस प्रमुख ने कहा कि भारत को किसी दूसरे देश का अनुसरण करने की बजाय भारत बनकर ही रहने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि अगर हम चीन, रूस, अमेरिका बनने की कोशिश करेंगे, तो वह नकल करना होगा. भागवत ने कहा कि ऐसा करने पर लोग तमाशा देखने जरूर आएंगे, लेकिन वह भारत का विकास नहीं होगा.


'भारत के अतीत को नीचा दिखाने की कोशिश'


मोहन भागवत ने कहा कि कई दूसरी सभ्यताओं ने भारत के अतीत को नीचा दिखाने की कोशिश की क्योंकि वे अपना वर्चस्व कायम करना चाहते थे. हम अपना इतिहास भूल गए हैं. कुछ लोगों ने हमें बताने की कोशिश की है कि हमारे इतिहास में कुछ नहीं है, कोई धन गौरव, रण गौरव नहीं है. हमारे ग्रंथों को गलत बताया गया, लेकिन हमने इस पर विश्वास क्यों किया? यह हमारी गलती है. 


'हर बात का सबूत नहीं हो सकता'


संघ प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने उन लोगों पर भी निशाना साधा जो प्राचीन भारत (India) में उपलब्धियों के दावों को साबित करने के लिए सबूत मांग रहे हैं. हर बात का सबूत नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि कुछ ज्ञान साक्ष्य के माध्यम से प्रदान किया जाता है, जबकि कुछ परंपरा के जरिए प्रदान किया जाता है


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