नई दिल्ली: महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस सरकार ने चर्चित भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में संदिग्ध संभाजी भिडे समेत अन्य नेताओं के खिलाफ दर्ज दंगों का केस वापस ले लिया है. आरटीआई कार्यकर्ता शकील शेख के दावों के मुताबिक, 7 जून 2017 से 14 सितम्बर 2018 तक फडणवीस सरकार ने संभाजी भिडे और उसके साथियों सहित सैकड़ों राजनेताओ के ऊपर दंगा जैसे गंभीर अपराधों को वापस लेने का निर्णय लिया है.


जानकारी के अनुसार जून 2017 में संभाजी भिडे और उनके साथियों के विरुद्ध दर्ज 3 केस वापस लिए गए. वहीं बाद में तीन अन्य केस वापस लिए गए. ध्यान रहे कि 2008 से 2014 तक कांग्रेस और एनसीपी की गठबंधन सरकार ने कोई भी केस वापस नहीं लिया था.


2014 में बीजेपी की सरकार आने के बाद जून 2017 से 14 सितंबर 2018 तक 8 शासन ने निर्णय जारी कर कुल 41 केसों में हजारो आरोपियों का केस वापस लिया है. जिन लोगों के खिलाफ केस वापस लिया गया है उनमें ज्यादातर शिवसेना और बीजेपी के कार्यकर्ता हैं. जिनके खिलाफ दर्ज केस वापस लिया गया उनमें राजू शेट्टी, संजय घाटगे, नीलम गोहे, प्रशांत ठाकुर, विकास मठकरी और अनिल राठौड़ जैसे नेता भी शामिल हैं.


शकील शेख ने कहा, ''मैंने आरटीआई दाखिल की थी. यह जानने की कोशिश की थी कि 2008 के बाद किन-किन नेताओं और उसके समर्थकों के खिलाफ दर्ज केस को वापस लिया गया. इसमें जानकारी मिली है कि भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में आरोपी संभाजी भिडे के खिलाफ दर्ज तीन केस वापस लिये गये हैं और नौ केस बीजेपी और शिवसेना के नेताओं के खिलाफ वापस लिए गए.''





हालांकि पुलिस ने साफ कहा है कि भीमा कोरेगांव मामले में संभाजी भिडे के खिलाफ दर्ज केस को वापस नहीं लिया गया है. पुणे के एसपी संदीप पाटील ने कहा कि पूरे मामले में जांच जारी है.


भीमा कोरेगांव: BJP ने राहुल को बताया निर्लज्ज, कहा- शहरी नक्सलियों का समर्थन करते हैं