Story Of Campa Cola: साल 1949... भारत (India) में पहली बार किसी विदेशी सॉफ्ट ड्रिंक कंपनी (Soft Drink Company) की एंट्री हुई, जिसका नाम था कोका कोला (Coca Cola). पहले ये अमीर लोगों की पसंद बनी फिर साल 1970 तक आम लोगों को भी इसका चस्का लग गया. फिर देश में इमरजेंसी (Emergency) लगी और इमरजेंसी के बाद नई बनी जनता सरकार ने कोका कोला को भारत से आउट कर दिया.


अब लोगों को सॉफ्ट ड्रिंक चाहिए थी तो ऐसे में कोका कोला की जगह मार्केट में आई एक सरकारी कोला कंपनी जिसे नाम दिया गया Double Seven (77). हालांकि लोगों को इसका टेस्ट पसंद नहीं आ रहा था और फिर मार्केट में एक और सॉफ्ट ड्रिंक कंपनी ने कदम रखा, जिसकी बोतल पर लिखा था कैंपा और इस कंपनी का नाम था कैंपा कोला. लोगों ने डबल सेवन को नकार दिया और कैंपा कोला लोगों की पहली पसंद बन गया, जिसका स्लोगन था "The Great Indian Taste". लेकिन आज हम ये कहानी आपको क्यों सुना रहे हैं?


रिलायंस इंडस्ट्री ने खरीदी कैंपा कोला


असल में रिलायंस इंडस्ट्री ने कैंपा कोला को लगभग 22 करोड़ में खरीद लिया है और ऐसी खबरें आ रही हैं कि इस दिवाली तक रिलायंस कैंपा कोला के ज़रिए कोका कोला और पेप्सी को टक्कर देने के लिए तैयार होगा. हमने सोचा क्यों न आपको भारत में कोका कोला की एंट्री और फिर साल 1977 में उसके एग्जिट के बाद की ये कहानी सुनाएं, जिसने कैंपा कोला को जन्म दिया और फिर कैसे साल 1992 में कोका कोला के दोबारा इंडियन मार्केट में एंट्री करने के बाद कैंपा कोला का पतन हुआ. चलिए सुनाते हैं आपको किस्सा कैंपा कोला का.


कैंपा कोला बनने से पहले कोका कोला की कहानी


कैंपा कोला के बनने से पहले आपको कोका कोला की कहानी जाननी होगी. PURE DRINKS GROUP नाम की भारतीय कंपनी के साथ मिलकर साल 1949 में कोका कोला ने भारत में कदम रखा. उस वक्त भारत में सॉफ्ट ड्रिंक मार्केट का बाज़ार कोई खास बड़ा नहीं था, लेकिन धीरे-धीरे कोक ने अपनी जगह बनानी शुरू कर दी. साल 1958 में Coca-Cola Export Corporation (CCEC) नाम से एक एंटिटी बनाई गई, जिसने 1959 आते-आते सिर्फ 4 लाख रुपए के करीब का मुनाफा कमाया. 1971 आते-आते कंपनी का प्रॉफिट 3.34 करोड़ पर पहुंच गया. यानी कंपनी भारत में अपनी पैठ बनानी शुरू कर चुकी थी.


यहां आपको ये जानना ज़रूरी है कि PURE DRINKS GROUP उस वक्त कोका कोला को भारत में बनाने का काम करता था, लेकिन कोल्ड ड्रिंक बनाने के लिए जो Concentrator इस्तेमाल किया जाता था वो कोका कोला के अमेरिकी प्लांट से ही बनकर आता था, क्योंकि कोका कोला अपना सीक्रेट किसी से शेयर नहीं करना चाहता था. भारत सरकार ने साल 1973 में एक एक्ट पास कर दिया, जिसे नाम दिया गया The Foreign Exchange Regulation Act यानी FERA. इसके तहत किसी भी कंपनी को RBI से हर तीन महीने बाद अपना इम्पोर्ट लाइसेंस रिन्यू करवाना होता था. जिसके तहत किसी भी विदेशी कंपनी को भारत में काम करने के लिए 2 शर्तें पूरी करनी ज़रूरी थी. पहला कंपनी के 60% Equity Share किसी भारतीय कंपनी के नाम करना और दूसरा transfer technical know-how to the Indian company. यानी कोक को अपना सीक्रेट फॉर्मूला भी शेयर करना पड़ता.


कोका कोला ने सीक्रेट फॉर्मूला देने से किया इनकार


खैर दिसंबर 1976 में कोका कोला को अपना आखिरी इम्पोर्ट लाइसेंस मिला, लेकिन अप्रैल 1977 आते आते सरकार बदल चुकी थी और मोरारजी देसाई देश के प्रधानमंत्री बन गए थे... तो कोका कोला को लाइसेंस देने से मना कर दिया गया, क्योंकि कोका कोला ने अपना सीक्रेट फॉर्मूल शेयर करने से इंनकार कर दिया था. जिसके बाद कोको कोला को भारत से अपना बिज़नेस समेटना पड़ा.


मोरारजी सरकार ने मेक इन इंडिया का सहारा लिया और सरकारी कोला कंपनी बनाई, जिसे नाम दिया गया डबल सेवन (77). ये नाम सुझाने के लिए जनता सरकार के सांसद हरि विष्णु कामत को 10 हज़ार रुपए का ईनाम भी दिया गया था, क्योंकि डबल सेवन मोरारजी सरकार की जीत का साल था. खैर भारत सरकार की कंपनी मॉर्डन फूड इंडस्ट्रीज को डबल सेवन बनाने का काम सौंपा गया. सरकार ने इसकी काफी मार्केटिंग भी की, लेकिन लोगों को इसका टेस्ट पसंद नहीं आ रहा था.


डबल सेवन के खिलाफ निकाली कैंपा कोला


उधर PURE DRINKS GROUP के मालिक चरणजीत सिंह कोका कोला को लेकर सरकार के निर्णय से खुश नहीं थे, लेकिन अब कोक के भारत छोड़ने के बाद उन्हें कंपनी के 2,800 वर्कर्स की चिंता सता रही थी और अपने बिज़नेस को चलाए रखना भी उनके लिए चुनौती थी. ऐसे में उन्होंने साल 1977 में सरकारी सॉफ्ट ड्रिंक 77 के अगेंस्ट मार्केट में एक नई ड्रिंक निकाली जिसे नाम दिया गया कैंपा कोला. ये एक तरह की Orange flavoured drink थी जिसकी बोतल पर लिखा था Campa.


जब कोका कोला ने दोबारा भारत में रखा कदम


हालांकि उस दौरान मार्केट में Campa Cola और Double Seven के अलावा Dukes और United Breweries Group's McDowell's Crush भी थे, लेकिन Campa का कॉम्पेटीटर बना Thums Up. साल 1983 में मार्केट से मोरारजी देसाई सरकार का 77 गायब होने लगा और देखते देखते Campa Cola की मोनोपली मार्केट में बढ़ने लगी, जो साल 1992 तक बरकरार रही. कोई वक्त था जब सलमान खान Campa Cola की ऐड में दिखा करते थे, लेकिन 1991 में मनमोहन सिंह ने भारतीय इकॉनोमी को दुनिया के लिए खोला तो 1992 में कोका कोला ने भारतीय मार्केट में दोबार कदम रख दिया.


खत्म हो गई कैंपा कोला


उधर Pepsi 1989 में ही भारतीय बाज़ार का रुख कर चुकी थी. फिर क्या था धीरे धीरे Coca Cola और Pepsi के मार्केटिंग नेटवर्क और उनके टेस्ट ने Campa को पछाड़ना शुरू कर दिया. साल 2001 में Campa Cola के दिल्ली में स्थित बॉटलिंग प्लांट और ऑफिसिज़ बंद हो गए और साल 2009 तक कैंपा हरियाणा तक सिमट कर रह गया और फिर 2012 आते आते कंपनी रसातल में चली गई.


क्या फिर से कमाल दिखाएगी कैंपा कोला


साल 2013 में PURE DRINKS GROUP की संपत्तियों के मालिकाना हक की लड़ाई अखबारों की सुर्खियां बनी और ये बड़ा ग्रुप लगभग बंद हो गया. अब Reliance Industries ने इस कंपनी को अक्वायर कर FMCG सेक्टर में अपनी एंट्री का ऐलान कर दिया है अब देखना ये होगा कि 15 साल तक भारतीय कंन्ज्यूमर्स की प्यास बुझाने वाला Campa Cola क्या फिर से अपना वही "The Great Indian Taste" वापस ला पाता है या नहीं. तो ये है कैंपा कोला की पूरी कहानी.


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