Ram Mandir Pran Pratishtha: अयोध्या में सोमवार (22 जनवरी 2014) को रामलला प्राण प्रतिष्ठा का समारोह संपन्न हो गया. 23 जनवरी से मंदिर को आम भक्तों के लिए भी खोल दिया जाएगा. 2019 में रामजन्म भूमि विवाद में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पीएम मोदी ने 5 फरवरी 2020 को मंदिर निर्माण के लिए राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की घोषणा की. ठीक छह महीने बाद 5 अगस्त 2020 को राम मंदिर की आधारशिला रखी गई और अब मंदिर लगभग बनकर तैयार हो चुका है.


वहीं, दूसरी सु्प्रीम कोर्ट ने मस्जिद बनाने के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या से लगभग 25 किमी दूर धन्नीपुर गांव में 5 एकड़ जमीन आवंटित की थी. इसके बाद 26 जनवरी 2021 को प्रस्तावित मस्जिद की आधारशिला रखी गई थी. हालांकि, मस्जिद के निर्माण का काम अभी तक शुरू नहीं हो सका है. 


मस्जिद निर्माण में हुई देरी पर उठे सवाल
अब जबकि राम मंदिर लगभग बनकर तैयार हो चुका है, तो ऐसे में मस्जिद के निर्माण में होने वाली देरी को लेकर इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन (IICF) ट्रस्ट पर सवाल उठ रहे हैं. इस ट्रस्ट को वक्फ बोर्ड ने गठित किया था और मस्जिद बनाने का काम इसी ट्रस्ट को सौंपा गया था.


प्रस्तावित मस्जिद के लिए दी गई जमीन पर एक दरगाह बनी हुई है, जो वहां जमीन आवंटित होने से पहले से ही मौजूद थी. फिलहाल इस दरगाह की मरम्मत का ही काम हो सका और इसकी दीवार पर एक पोस्ट लगा है, जिसमें वहां बनने वाली मस्जिद की तस्वीर छपी है.


मस्जिद बनने में क्यों ही रही देरी?
मस्जिद निर्माण में हो रही देरी को लेकर अयोध्या में यूपी सुन्नी सेंट्रल बोर्ड वक्फ उप-समिति के अध्यक्ष आजम कादरी ने द क्विंट को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि मस्जिद निर्माण में हो ही देरी के पीछे दो अहम कारण है. पहला यह कि अयोध्या विकास प्राधिकरण मैप को मंजूरी नहीं दे रहा था. 


इसके अलावा बोर्ड उस जमीन एक लाइब्रेरी बनाने पर विचार कर रहा था, लेकिन अब तय किया गया है कि मस्जिद के बगल में एक कैंसर अस्पताल बनाए जाएगा और इसके लिए हमें और जमीन की जरूरत है.



'पैसे की कमी'
वहीं, इस संबंध में ऑल इंडिया मिली काउंसिल के सदस्य खालिक अहमद खान ने बीबीसी को बताया कि ट्रस्ट को जितनी उम्मीद थी वह उतना पैसा जमा नहीं कर पाया, इसलिए काम में देरी हो रही है. उन्होंने बताया कि काम में तेजी लाने के लिए वह पैसे जमा करने की रणनीति बदल रहे हैं.


उन्होंने कहा कि शरिया कानून और वक्फ बोर्ड के नियमों के अनुसार मस्जिद और कब्रिस्तान जैसी संपत्तियों को न तो बेचा जा सकता है, न उन्हें गिरवी रखा जा सकता है और न ही उपहार में दिया जा सकता है.


'विवाद में नहीं पड़ना चाहता बोर्ड'
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक महाराष्ट्र अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष हाजी अराफात शेख ने मस्जिद निर्माण को लेकर हो रही देरी पर कहा कि सरकार ने खुद धन्नीपुर में मस्जिद के लिए जमीन आवंटित की थी, लेकिन मस्जिद समिति इस बात को लेकर आश्वस्त होना चाहती है कि वह आगे चलकर किसी विवाद में न पड़े.


इसके लिए बोर्ड चाहता है कि मस्जिद के निर्माण शुरू करने से पहले राज्य सरकार हमें एक प्रमाण पत्र दे, जिसमें कहा जाए कि भूमि का स्वामित्व स्पष्ट है. उन्होंने परियोजना के डिजाइन को अंतिम रूप दिया जा रहा है और मंजूरी के लिए यूपी सरकार को प्रस्ताव भी लगभग तैयार है.


उन्होंने दावा किया, " हम इस साल फरवरी में साइट पर अपना निर्माण कार्यालय खोलेंगे और मई में रमजान के बाद मस्जिद का काम निर्माण शुरू करेंगे.


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