रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने के लिए देश के कोने-कोने से राम भक्त अयोध्या नगरी पहुंच रहे हैं. 500 साल के इंतजार के बाद आज ये दिन आया है और भक्त इस ऐतिहासिक पल के लिए बेहद उत्सुक हैं इसलिए अयोध्या में भक्तों की भीड़ उमड़ी हुई है. देश ही नहीं विदेश से भी राम भक्त 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने के लिए पहुंच रहे हैं. लंदन से भी महिलाओं का एक समूह यहां पहुंचा है. इनमें कोई साक्लोॉजिस्ट रह चुका है तो कोई बायोलॉजिस्ट, लेकिन अब ये साध्वी बन चुकी हैं. काफी पहले ही इन्होंने संन्यास ले लिया था.


न्यूज 18 की रिपोर्ट के अनुसार, ये सभी लोग रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने के लिए अयोध्या आए हैं. ये सभी मां आशुतोषवमरी के अनुयायी हैं और काफी पहले नौकरी छोड़कर संन्यास ले चुके हैं. इन्होंने बताया बचपन में वह अयोध्या आए थे और अब रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में हिस्सा लेने के लिए यहां पहुंचे हैं. इनमें साध्वी अवाक्षी, साध्वी गेब्रिएल, साध्वी प्रज्ञा भारती, साध्वी ज्योति प्रभा भारती और साध्वी पूजा भारती शामिल हैं.  


साध्वी अवाक्षी बोलीं, सनातनियों के लिए यह अभूतपूर्व दिन है
डॉक्टर अवाक्षी ने बताया, 'हम सब साध्वी और गुरु बहनें हैं. हम परम पूज्य आशुतोषमवरी जी की अनुयायी हैं. साध्वी अवाक्षी ने  कहा, मैं रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए अयोध्या आए हैं. आज बड़ा दिन है, यह ऐसा दिन है, जिसने दुनिया को बदल दिया है. सनातनियों के लिए यह अभूतपूर्व दिन है. अपने धर्म को खुले तौर पर मनाने के पीछे बहुत सालों का संघर्ष है. अब वैश्विक मंच पर अपने धर्म को खुले तौर पर मनाने का अवसर मिला है. पूरी दुनिया यहां है और हमें रामलला का अभिवादन करने का अवसर मिला है.'


साध्वी ने कहा, मेरी भक्ति मुझे अयोध्या लेकर आई है
साध्वी गेब्रिएल ने कहा, 'मेरी भक्ति रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए मुझे अयोध्या लेकर आई है. मैं सौभाग्यशाली हूं कि मैं मां अशुतोषमवरी जी से मिली. अयोध्या में हर कोई भगवान राम की बात कर रहा है यहां की एनर्जी और पॉजिटिविटी बहुत हाई है. हर कोई रामायण, हिंदू संस्कृति, वेद और मंत्रों की बात कर रहा है, जिन्होंने हजारों सालों और युगों तक हमारा मार्गदर्शन किया.'


लंदन में फिजियोलॉजिस्ट और बायोलोजिस्ट रह चुकी हैं साध्वी
साध्वी अवाक्षी ने डबल पीएचडी की है और ब्रिटेन सरकार में वह एक फिजियोलॉजिस्ट के तौर पर काम करती थीं, लेकिन सब त्याग कर वह संत बन चुकी हैं. गेब्रिएल भी ब्रिटेन में बायोलॉजिस्ट थीं, लेकिन वह भी संन्यास ले चुकी हैं और संत के तौर पर जिंदगी बिता रही हैं.


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