नई दिल्ली: राज्यसभा ने शुक्रवार को अपने तीन सदस्यों कर्ण सिंह, जनार्दन द्विवेदी, परवेज हाशमी को विदाई दी जिनका कार्यकाल इसी महीने की 27 तारीख को पूरा हो रहा है. सदन ने उनके योगदान की सराहना की और उन्हें आगे के जीवन के लिए शुभकामनाएं दीं.


सुबह राज्यसभा की बैठक शुरू होने पर सभापति एम वेंकैया नायडू ने उनके कार्यकाल पूरा होने का जिक्र किया. तीनों सदस्य कांग्रेस से हैं और सदन में दिल्ली का प्रतिनिधित्व कर रहे थे.


नायडू ने कहा कि इन सदस्यों ने सदन में चर्चा के साथ ही संसद की स्थायी समितियों की चर्चा में भी उल्लेखनीय योगदान किया. उन्होंने संसदीय लोकतंत्र तथा सदन की गरिमा को बढाने में भूमिका निभायी. नायडू ने उन्हें शुभकामनाएं देते हुए उनके स्वस्थ रहने की कामना की तथा उम्मीद जताई कि वे आगे भी राष्ट्र की सेवा करते रहेंगे.


सदन में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कर्ण सिंह का उल्लेख करते हुए कहा कि वह स्वतंत्र भारत के पहले व्यक्ति हैं जो 18 साल की उम्र में राज्य के प्रमुख बन गए थे. वह ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने महात्मा गांधी को भी देखा और प्रथम प्रधानमंत्री से लेकर अब तक के सभी प्रधानमंत्रियों के साथ मिलने का अवसर मिला. कई प्रधानमंत्रियों के साथ उन्हें काम करने का भी मौका मिला.


उन्होंने कहा कि कर्ण सिंह पांच बार लोकसभा के सदस्य रहे और राज्यसभा के सदस्य रहने के अलावा केंद्रीय मंत्री रहे. वह एक महत्वपूर्ण दौर में अमेरिका में भारत के राजदूत भी रहे.


आजाद ने कर्ण सिंह की विभिन्न खूबियों का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने कभी शराब, सिगरेट और पान तक नहीं छुआ. वह साधारण जिंदगी जीने में भरोसा करते हैं.


गुलाम नबी आजाद ने यह भी कहा कि जनार्दन द्विवेदी छात्र जीवन से ही राजनीति में आ गए और लंबे समय तक दिल्ली विश्वविद्यालय में शिक्षक रहे. वह कांग्रेस के संगठन में कई पदों पर रहे. वह तीन बार राज्यसभा के सदस्य रहे. परवेज हाशमी का जिक्र करते हुए आजाद ने कहा कि वह अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्र रहे. वह दो बार दिल्ली विधानसभा के सदस्य और मंत्री रहे. वह दो बार राज्यसभा के सदस्य रहे. उन्होंने उम्मीद जताई कि हाशमी राजनीति में सक्रिय बने रहेंगे.


केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने तीनों सदस्यों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि वह विविध विषयों के जानकार हैं. एक ओर वह संस्कृत के विद्वान हैं वहीं शास्त्रीय संगीत के भी जानकार हैं. उन्होंने कहा कि कर्ण सिंह आध्यात्मिक परंपरा के संवाहक हैं, भारतीय विरासत के संवाहक हैं और पूर्ण व्यक्तित्व हैं.


रविशंकर प्रसाद ने कहा कि हिंदी के प्रति लगाव को लेकर जनार्दन द्विवेदी के साथ उनके करीबी रिश्ते बन गए. उन्होंने कहा कि द्विवेदी सरल हिंदी पर जोर देते हैं. प्रसाद ने कहा कि हिंदी तभी लोकप्रिय होगी जब सरल और सहज होगी.


कर्ण सिंह ने अपने विदाई संबोधन में कहा कि पिछले 50 साल में संसद विकसित हुई है लेकिन सभी बदलाव सकारात्मक नहीं रहे हैं. उन्होंने कहा कि पहले की चर्चाओं का स्तर काफी ऊंचा होता है और अब वैसी चर्चाएं कम देखने को मिलती है.


जनार्दन द्विवेदी ने अपने संबोधन में अपने बचपन के अनुभवों को साझा किया और कहा कि उन लोगों के लिए उनके मन में काफी सम्मान है जो साधारण घरों में पैदा होकर आगे बढ़े हैं. उन्होंने कहा कि उनके मन में उन लोगों के प्रति काफी आदर है जो पार्टी के साधारण कार्यकर्ता से नेता बने हैं. परवेज हाशमी सदन में मौजूद नहीं थे.