नई दिल्ली: नंवबर में यूनीक आईडेंटिफिकेशन अथॉरिटी आफ इंडिया (यूएआईडीआई) ने साफ किया था कि आपकी आधार से जुड़ी जानकारी पूरी तरह सुरक्षित है और इसमें कोई सेंध नहीं लग सकता है. लेकिन एक अंग्रेज़ी मीडिया हाउस द ट्रिब्यून ने एक दंग करने वाली रिपोर्ट छापी है. रिपोर्ट में बताया गया है कि द ट्रिब्यून ने महज़ 500 रुपए देकर 10 मिनट के भीतर आधार से जुड़ी जानकारी हासिल की.
एक अरब लोगों के आधार की जानकारी वाला लॉग इन पासवर्ड हैक
ख़बर के मुताबिक व्हाट्सएप पर आए एक संदेश में कहा गया है कि महज़ 500 रुपए में 10 मिनट के भीतर आधार से जुड़ी जानकार दी जाएगी. इसके बाद जब अख़बार ने पेटीएम के जरिए 500 रुपए भेजे तब महज़ 10 मिनट में उसे आधार की जानकारी दे दी गई. इसके बाद व्हाट्सएप पर मैसेज करने वाले ने अख़बार को एक लॉग इन और पासवर्ड दिया जिसके जरिए एक अरब लोगों के आधार की जानकारी तक पहुंचा जा सकता था.
लॉगइन मिल जाने के बाद अख़बार के पास एक अरब लोगों के नाम, पता, फोटो, फोन नंबर, ईमेल आईडी, पोस्टल कोड समेत ऐसी तमाम जानकारियां जानने का साधन मिल गया. 300 रुपए देने के बाद हैकर ने अख़बार को एक सॉफ्टवेयर मुहैया कराया जिसके जरिए किसी का भी आधार नंबर डालकर उसके आधार की कॉपी प्रिंट की जा सकती थी.
UAIDI ने पहले बताया नेशनस सिक्योरिटी ब्रीच, फिर की लीपा-पोती
अख़बार के मुताबिक UAIDI की चंडीगढ़ टीम से जब ये जानकारी साझा की गई तब उन्होंने इसे एक बड़ा नेशनल सिक्योरिटी ब्रीच बताया. चंडीगढ़ टीम ने UAIDI में मौजूद टेक्निकल टीम से तुरंत संपर्क किया.
इसके बाद UAIDI मामले पर लीपापोती करती दिखी और कहा कि ये रिपोर्ट गलत है और लोगों को भरोसा दिलाने के लिए बयान दिया कि आधार से जुड़ी उनका आम और बायोमेट्रिक डेटा बिल्कुल सुरक्षित है. UAIDI ने आगे कहा कि अगर ऐसा कुछ हुआ भी हो तो उसके पास ऐसी तकनीक है जिसके सहारे वो इसे हैक करने वाले तक पहुंच सकता है और उनके खिलाफ कार्रवाई भी कर सकता है.
आगे कहा गया कि ये मामला शिकायत निवारण सेवा के गलत इस्तेमाल का नज़र आ रहा है. मामले में कानूनी कार्रवाई के तहत एफआईआर दर्ज कर ली गई है. UAIDI का कहना है कि शिकायत निवारण सेवा अथॉरिटी को आधार डीटेल्स को लेकर लिमिटेड एक्सेस की अनुमति होती है लेकिन इन्हें बायोमेट्रिक डीटेल्स तक पहुंचने की अनुमति नहीं होती है. UAIDI का स्टैंड है कि अगर लीक हुआ भी है तो उनकी तरफ से नहीं हुआ.
केंद्र सरकार का कहना रहा है कि आधार सबसे सुरक्षित मैकेनिज़्म से बना है. लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बीते साल अप्रैल तक आधार से जुड़ी जानकारी लीक होने के 21 मामले सामने आए.
दो तरह के होते हैं आधार डेटा, एक के बिना दूसरा होता है बेकार
एक टीवी कार्यक्रम में आए एथिकल हैकर साकेत मोदी का कहना है कि आधार में दो तरह के डेटा होते हैं. एक फिजिकल डेटा होता है जो व्यक्ति के कार्ड पर मौजूद जानकारी होती है. दूसरा डेटा बायोमेट्रिक डेटा होता है. बायोमेट्रिक डेटा में फिंगरप्रिंट, रेटीना स्कैन जैसी चीज़ें शामिल होती हैं. जब सिम कार्ड और बैंक खातों के साथ आधार लिंक कराने की बात होती है तब इसका फिजिकल डेटा इस्तेमाल होता है जिसके लिए आधार नंबर की दरकार होती है लेकिन इसका बायोमेट्रिक डेटा से कोई लेना-देना नहीं होता है.
वहीं अगर किसी के पास दोनों में से कोई एक डेटा है तो वो उसके किसी काम का नहीं है. उन्होंने आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद का उदाहरण देते हुए कहा कि वे खुलेआम अपना आधार कार्ड दिखते हैं जिसमें कोई भी उनकी फिजिकल इंफॉर्मेशन देख सकता है लेकिन उसके किसी हाल में उनकी बायोमेट्रिक इंफॉर्मेशन तक पहुंच नहीं मिलेगी. इसी सिलसिले में उन्होंने आधार के जनक नंदन नीलेकणि का भी उदाहरण दिया.
सरकारी वेबसाइट को हैक करके हासिल की गई जानकारी
साकेत मोदी की अधारा पर दी गई इस जानकारी के जवाब में द ट्रिब्यून का कहना है कि चिंता की बात ये नहीं है कि जो डेटा हैक हुआ है वो फिजिकल या बायोमेट्रिक है बल्कि चिंता की बात ये है कि डेटा भारत सरकार की वेबसाइट से हैक किया गया है. इससे भी बड़ी बात ये है कि डेटा उसी वेबसाइट से हैक किया गया है जिसपर फिजिकल के अलावा बायोमेट्रिक डेटा भी मौजूद है.