Quad Summit 2022: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 23-24 मई को जापान की राजधानी टोक्यो में होंगे. इस दौरे में मोदी जहां एक तरफ क्वाड नेताओं की शिखर बैठक में शरीक होंगे. वहीं करीब 36 घंटे की इस यात्रा में उनकी मुलाकातें अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, जापान के प्रधानमंत्री फूमियो किशिदा और ऑस्ट्रेलिया के नए पीएम से भी होनी हैं.



प्रधानमंत्री मोदी की इस तीसरी जापान यात्रा में जहां एक तरफ क्वाड नेताओं की दूसरी प्रत्यक्ष का महत्वपूर्ण एजेंडा चर्चा की मेज पर होगा. वहीं द्विपक्षीय वार्ताओं के दौरान भी निवेश, व्यापार, सुरक्षा, तकनीक समेत कई मुद्दों पर महत्वपूर्ण बातचीत होनी है. पीएम मोदी 22 मई की रात जापान के लिए रवाना होंगे और 23 मई को टोक्यो पहुंचते ही उनके कार्यक्रमों का सिलसिला शुरू हो जाएगा.  


क्वाड के भविष्य और उसके प्रभावी बने रहने के लिहाज से टोक्यो की बैठक को खासा महत्वपूर्ण माना जा रहा है. इसकी बड़ी वजह है कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र के अनेक देश जहां आर्थिक और सुरक्षा की चुनौतियों से जूझ रहे हैं. वहीं क्वाड के वादे जमीन पर उतरने में फिलहाल कमजोर ही नजर आते हैं. ऐसे में अमेरिका-जापान-भारत और ऑस्ट्रेलिया के नेताओं की कोशिश होगी की ठोस नतीजे देने वाली योजनाओं को तेजी से बढ़ाया जाए. 


जापान में पीएम मोदी की जहां अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ आमने-सामने की दूसरी मुलाकात होगी. वहीं जापान के पीएम किशीदा से वो महज दो महीने के भीतर दूसरी बार मिलेंगे. इसके अलावा पीएम मोदी जापान में केवल दो दिनों को दौरे में जापानी उद्योगपतियों से मुलाकात करेंगे तो साथ ही भारतीय समुदाय को भी संबोधित करेंगे. यह दोनों ही कार्यक्रम 23 मई को होना है जबकि क्वाड नेताओं का शिखर सम्मेलन 24 मई को होगा. 


क्या है क्वाड का एजेंडा


जापान के प्रधानमंत्री कार्यालय कांतेई में आयोजित की जाने वाली क्वाड नेताओं की शिखर बैठक में इस बार जहां पिछली बैठक के फैसलों की समीक्षा होगी. वहीं हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आपसी साझेदारी और अन्य देशों के साथ भागीदारी का ताना बाना मजबूत करने की योजना आगे बढ़ाई जाएगी. 


हाइड्रोजन समेत वैकल्पिक ईंधन पर सहयोग


जलवायु परिवर्तन और बढ़ती ईंधन की चुनौती क्वाड नेताओं की टोक्यो बैठक एक अहम मुद्दा होगा. क्वाड की योजना हिंद-प्रशांत क्षेत्र में ग्रीन-शिपिंग नेटवर्क बनाने की है जिसका कार्बन उत्सर्जन न के बराबर हो. साथ ही हाइड्रोजन के इस्तेमाल को बढ़ाने और उसके लिए सहयोग का ढांचा बनाने पर जोर होगा. क्वाड देश जलवायु परिवर्तन पर भी सक्रिय सूचना साझेदारी बढ़ाएंगे.


ढांचागत निर्माण का प्रभावी तंत्र


क्वाड इंफ्रास्ट्रक्चर समन्वय समूह के काम भी समीक्षा नेताओं की इस शिखर बैठक में होगी. इसके तहत हिंद-प्रशांत इलाके की ढांचागत योजनाओं में मदद दी जाती है ताकि देश अव्यावहारिक कर्ज के फंदे में न फंसें. इस कड़ी में प्राकृतिक आपदाओं से मुकाबले और उसके लिए जरूरी ढांचा बनाने पर भी जोर है.  


तकनीक पर तालमेल


क्वाड देशों के बीच तकनीक की साझेदारी भी नेताओं की टोक्यो बैठक का एक अहम मुद्दा होगा. उभरती हुई और अहम तकनीकों पर सहयोग को कैसे बढ़ाया जाए. बायो टैक्नोलॉजी से लेकर सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन की मजबूती और सायबर सुरक्षा तंत्र की हिफाजत तक अनेक विषय शामिल होंगे. माना जा रहा है कि मेजबान जापान की तरफ से क्वाड अंतरिक्ष सहयोग पर भी एक ड्राफ्ट तैयार किया गया है जिसे पेश किया जाएगा. इसमें अंतरिक्ष में एक-दूसरे के उपग्रहों की सुरक्षा के लिए सूचनाएं साझा करने और जरूरी सहयोग देने पर जोर होगा.  


कोरोना के खिलाफ लड़ाई


कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई क्वाड देशों की साझेदारी का एक अहम पहलू रहा है. इसके तहत कोरोना टीकों के निर्माण और आपूर्ति से लेकर इस महामारी के आर्थिक दुष्प्रभावों से उबरने में मदद तक अनेक पहलू शामिल हैं. साथ ही स्वास्थ्य ढांचा मजबूत करने के लिए स्वास्थ्य सुरक्षा, जीनोमिक्स, निगरानी तंत्र, क्लीनिकल ट्रायल और भविष्य की महामारियों से निपटने की तैयारियों जैसे विषय हैं. 


शिखर बैठक के जरिए क्वाड नेताओं की कोशिश वैक्सीन प्रयास को आगे बढ़ाने की होगी जो तय तो हुआ था लेकिन उम्मीद के मुताबिक रफ्तार हासिल नहीं कर पाया. कोशिश की गई थी कि अमेरिकी वैक्सीन का भारत में उत्पादन हो और जापान व ऑस्ट्रेलिया की मदद से उन टीकों को हिंद-प्रशांत क्षेत्र के अन्य देशों में मुहैया कराया जाए. इसके तहत बायोलॉजिकल-ई जैसी भारतीय वैक्सीन निर्माता कंपनी को लायसेंस भी मिला था. लेकिन उत्पादन, खरीद और वितरण की पेचीदगियों में मामला उलझकर रह गया. 


सुरक्षा की साझा चिंता पर सहयोग


क्वाड देशों के बीच मजबूत सुरक्षा साझेदारी का संदेश भी टोक्यो की बैठक देगी. खासतौर पर चीन के हौसलों को इस बैठक के बहाने हदें दिखाने की कोशिश होगी. बीते दिनों चीन की तरफ से पैंगोंग झील पर दूसरा पुल बनाए जाने पर भारत ने सख्त ऐतराज दर्ज कराया है. वहीं जापान ने भी पूर्वी चीन सागर में दोनों देशों की मध्यरेखा के करीब नए गैस-फील्ड ढांचे पर अपना विरोध दर्ज कराया है. इतना ही नहीं क्वाड के सदस्य देश ऑस्ट्रेलिया के करीब सोलोमन आइलैंड के साथ हुई चीन के सुरक्षा करार ने भी चिंताएं बढ़ाई हैं. 


यूक्रेन-रूस युद्ध संकट पर भी मंथन


टोक्यो में होने वाली बैठक के दौरान रूस और यूक्रेन के बीच चल रही लड़ाई का मुद्दा उठना तय है. इस मसले पर जहां अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान खुलकर रूस का विरोध जता चुके हैं. वहीं भारत लगातार इस बात पर जोर दे रहा है कि संघर्ष विराम कर शांतिपूर्ण बातचीत और कूटनीति के जरिए समाधान निकाला जाना चाहिए. हालांकि भारत सभी क्वाड सदस्य देशों के सामने द्विपक्षीय स्तर पर भी अपनी स्थिति स्पष्ट कर चुका है. ऐसे में भारत के रुख में किसी बड़े बदलाव के संकेत नहीं है. 


मोदी-बाइडेन की अहम मुलाकात


टोक्यो में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के बीच दूसरी आमने-सामने की मुलाकात होगी. दोनों नेता इससे पहले क्वाड की ही बैठक के दौरान सितंबर 2021 में वाशिंगटन में मिले थे. हालांकि अमेरिका में हुए सत्ता परिवर्तन के बाद बीते डेढ़ सालों के दौरान दोनों नेताओं के बीच कई फोन कॉल, वर्चुअल संवाद हो चुके हैं. हाल ही में भारत-अमेरिका 2+2 वार्ता से पहले भी दोनों नेताओं के बीच वर्चुअल बैठक हुई थी. 


रूस-यूक्रेन युद्ध जिसमें अमेरिका खुलकर यूक्रेन के साथ खड़ा है, उस दौरान मोदी और बाइडेन की यह पहली मुलाकात होगी. हालांकि संकेत इस बात के हैं कि दोनों नेताओं के बीच बातचीत का फोकस द्विपक्षीय सहयोग और हिंद-प्रशांत के लिए रणनीति में आपसी साझेदारी पर अधिक होगा.


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