Presidential Election 2022: भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने मंगलवार को झारखंड (Jharkhand) की पूर्व राज्यपाल और आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) को राष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार चुना है. उनकी जीत लगभग तय मानी जा रही है. ऐसे में लोग उनके और उनके परिवार के बारे में भी जानना चाह रहे हैं. 


द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा के मयूरभंज जिले के बैदापोसी गांव में एक संताली आदिवासी परिवार में हुआ था. उनके पिता का नाम बिरंची नारायण टुडू था. उनके पिता और दादा दोनों ही उनके पैतृक गांव के प्रधान थे. मुर्मू का विवाह श्यामाचरण मुर्मू से हुआ और दंपतियों को तीन संतान दो बेटा और एक बेटी हुई.


त्रासदियों से भरा रहा है मुर्मू का जीवन
मुर्मू का जीवन व्यक्तिगत त्रासदियों से भरा रहा है क्योंकि उन्होंने अपने पति और दोनो बेटों को खो दिया है. उनकी बेटी इतिश्री का विवाह गणेश हेम्ब्रम से हुआ. मुर्मू की बेटी इतिश्री ओडिशा के एक बैंक में काम करती हैं. बेहद पिछड़े और दूरदराज के जिले से ताल्लुक रखने वाली मुर्मू ने भुवनेश्वर के रमादेवी महिला कॉलेज से कला में स्नातक किया और ओडिशा सरकार के सिंचाई और बिजली विभाग में एक कनिष्ठ सहायक के रूप में अपना करियर शुरू किया था.


संथाल समुदाय में जन्मीं मुर्मू ने 1997 में रायरंगपुर नगर पंचायत में एक पार्षद के रूप में अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया और वह वर्ष 2000 में ओडिशा सरकार में मंत्री बनीं. बाद में उन्होंने 2015 में झारखंड के राज्यपाल पद की जिम्मेदारी भी संभाली. वह झारखंड की पहली महिला, आदिवासी और पांच साल का कार्यकाल पूरा करने वाली राज्यपाल थीं.


रायरंगपुर से दो बार विधायक रहीं मुर्मू ने 2009 में तब भी अपनी विधानसभा सीट पर कब्जा जमाया था, जब बीजद ने राज्य के चुनावों से कुछ हफ्ते पहले बीजेपी से नाता तोड़ लिया था. जिसमें मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की पार्टी बीजद ने जीत दर्ज की थी.


मिल चुका है सर्वश्रेष्ठ विधायक का खिताब
ओडिशा में सिंचाई और बिजली विभाग में एक कनिष्ठ सहायक से लेकर बीजेपी के नेतृत्व वाली राजग की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार नामित होने तक का सफर आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू के लिए बेहद लंबा और मुश्किलों भरा रहा है. मुर्मू को 2007 में ओडिशा विधानसभा द्वारा वर्ष के सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए नीलकंठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.


उनके पास ओडिशा सरकार (Government of Odisha) में परिवहन, वाणिज्य, मत्स्य पालन और पशुपालन जैसे मंत्रालयों को संभालने का अनुभव है. मुर्मू बीजेपी (BJP) की ओडिशा इकाई (Odisha Unit) की अनुसूचित जनजाति मोर्चा की उपाध्यक्ष और बाद में अध्यक्ष भी रहीं. उन्हें 2013 में बीजेपी राष्ट्रीय कार्यकारिणी (एसटी मोर्चा) के सदस्य के रूप में भी नामित किया गया था.




'...तो एकनाथ शिंदे को सीएम बना देना चाहिए', शरद पवार ने उद्धव ठाकरे को दिया सियासी कलह खत्म करने का फॉर्मूला


Maharashtra Political Crisis: एकनाथ शिंदे पर उद्धव ठाकरे का पलटवार- मैं सीएम पद से इस्तीफा देने को तैयार, लेकिन...