मुंबई: राष्ट्रपति के लिए एनडीए के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद का समर्थन कर चुकी शिवसेना ने बीजेपी पर दलित वोट बैंक की राजनीति करने का आऱोप लगया है. आज सामना के संपादकीय में शिवसेना ने लिखा कि रामनाथ कोविंद का नाम बीजेपी ने दलित वोटबैंक के लिए आगे किया है. बीजेपी चाहती तो कोविंद से बड़े दलिता नामों को आगे बढ़ा सकती थी.


शिवसेना ने सामना में लिखा है, ‘’बीजेपी को दलित कार्ड ही खेलना था तो प्रकाश आंबेडकर, रामदास आठवले, भालचंद्र मुंगेकर या नरेंद्र जाधव का नाम आगे बढ़ाती. शिवसेना की पसंद मोहन भागवत और एम एस स्वामीनाथन थे लेकिन बीजेपी के हाथ में सत्ता और बहुमत है इसलिए हमें रामनाथ कोविंद का समर्थन करना पड़ा.’’



राष्ट्रपति चुनाव: कोविंद को नीतीश का समर्थन, कांग्रेस की अगुवाई में 17 विपक्षी दलों की बैठक आज


17 विपक्षी दलों की बैठक आज


राष्ट्रपति चुनाव को लेकर आज शाम 4.30 बजे कांग्रेस की अगुवाई में 17 विपक्षी दलों की बैठक होने वाली है. उद्धव को तोड़ने का कांग्रेस का प्लान फेल चुका है. मायावती आज की बैठक में शामिल होंगी, लेकिन वो पहले ही दलित के नाम पर कोविंद को समर्थन करने का एलान कर चुकी हैं. विपक्ष को कोई अप्रत्याशित उम्मीद दिखी तो वो कृषि वैज्ञानिक एम एस स्वामीनाथन, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार, पूर्व गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे या गोपाल कृष्ण गांधी का नाम आगे कर सकती है.


क्या कहता है वोटों का गणित?

एनडीए के पास राष्ट्रपति चुनने के लिए अभी पांच लाख 32 हजार वोट हैं. ओडिशा की सत्ताधारी बीजेडी ने भी कोविंद का समर्थन कर दिया है. बीजेडी के पास 37 हजार 257 वोट हैं.  बीजेपी को दक्षिण भारत की दो प्रमुख पार्टियां वाईएसआर कांग्रेस और टीआरएस का समर्थन भी हासिल है और अब नीतीश की पार्टी के भी 20 हजार 779 वोट एनडीए के खाते में आ गए.  यानि अब कोविंद के समर्थन में छह लाख 29 हजार 658 वोट हो गए हैं. जो जीत के लिए जरूरी पांच लाख 49 हजार 422 वोटों से कहीं ज्यादा हैं.

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