नई दिल्ली: करीब दो हफ्ते पहले हरियाणा के सोनीपत स्तिथ अशोका यूनिवर्सिटी के जाने-माने स्‍कॉलर, राजनीतिक विश्‍लेषक और टिप्पणीकार प्रताप भानु मेहता ने यूनिवर्सिटी से इस्‍तीफा दे दिया था. प्रोफेसर पी बी मेहता के इस्तीफा देने के बाद प्रोफेसर अरविंद सुब्रमण्यम ने भी एकजुटता दिखाने के लिए इस्तीफा दिया. प्रोफेसर सुब्रमण्यम मोदी सरकार में ही पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार के पद पर रहे हैं. वहीं प्रोफेसर मेहता लगातार अपने लेखन से सार्वजनिक तौर पर सरकार पर सवाल उठाते रहे हैं और अपने इस्तीफे में जानकारी देते हैं कि उन्हें विश्वविद्यालय में 'पॉलिटिकल लायबिलिटी' और विश्वविधालय के लिए जोखिम माना जा रहा है.


इस्तीफा देने के बाद भी दोनों ही प्रोफेसर अपने छात्र छात्राओं की तरफ अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए उन्हे अब भी ऑनलाइन शिक्षा दे रहे हैं. ये जानकारी प्रोफेसर मेहता ने छात्रों को एक ईमेल के जरिए दी जिसमे वो कहते हैं, "जैसा कि आप सभी जानते हैं कि मैंने अशोका विश्वविद्यालय से इस्तीफा दे दिया है. लेकिन क्योंकि यह सेमेस्टर का मध्य है इसलिए मैं आप लोगों की सभी क्लासेज लूंगा और कहीं भी परेशानी आने पर आपकी मदद के लिए उपलब्ध भी रहूंगा. अशोका विश्वविधालय को छोड़ देने का निर्णय आसान नहीं है, ऐसा इसलिए भी क्योंकि मुझे आप जैसे शानदार छात्र छात्राएं मिले हैं. मौजूदा परिस्थिति के बारे में मैने विश्वविधालय प्रशासन से बात की और यह समझ पाया हूं कि आगे बढ़ने में ही भलाई है. इसलिए मैने इस्तीफा देना सही समझा."


छात्र-छात्राओं ने दोनों प्रेफेसरों के इस्तीफे से परेशान होकर विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ कई दिनों तक प्रदर्शन किया था और कई अहम सवाल अपनी कुलपति से भी पूछे थे. छात्रों ने विश्वविधालय प्रशासन के सामने तीन मांगें भी रखी थीं जिसमे पहली मांग - प्रोफेसर मेहता से पब्लिकली माफी मांगी जाए और प्रोफेसर मेहता , प्रोफेसर सुब्रमण्यम को उनका पद वापस ऑफर किया जाए, थी. दूसरी मांग फाउंडर्स द्वारा सभी जरूरी जानकारी साझा करने को लेकर थी और तीसरी मांग संस्थान में रिफॉर्म लाने की लेकर थी जिससे इस तरह का घटनाक्रम दोबारा ना हो. अब देखना होगा कि छात्रों की मांगें और दोनो प्रोफेसरों के इस्तीफे के बीच विश्वविद्यालय प्रशासन क्या निर्णय लेता है.


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