Prashant Kishor and RCP Singh Eviction from JDU: नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के बिहार के मुख्यमंत्री रहते हुए जेडीयू (JDU) में नंबर दो की भूमिका में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) और आरसीपी सिंह (RCP Singh) ने जगह बनाई लेकिन दोनों के ही रिश्ते नीतीश कुमार से खटास के साथ खत्म हुए. आरसीपी सिंह पर जेडीयू की ओर से ही भ्रष्टाचार (Corruption) के आरोप लगाए है. उन पर बीजेपी (BJP) के साथ मिलकर बिहार में सरकार को कमजोर करने के भी आरोप लगे जबकि कभी वह नीतीश कुमार के खासमखास माने जाते थे. आरसीपी सिंह को एक दौर में नीतीश कुमार का दाहिना हाथ तक कहा जाता था. 


जेडीयू ने हाल में ही आरसीपी सिंह को चिट्ठी लिखकर आय से अधिक मामले में सफाई मांगी थी. आरसीपी सिंह पर आरोप है कि 2013 से 2022 के बीच उन्होंने नालंदा में अपने गांव के पास 40 बीघा जमीन खरीदी थी. बिहार के जेडीयू अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने आरसीपी सिंह को चिट्ठी लिखकर आरोपों पर सफाई मांगी थी. चिट्ठी में लिखा गया था कि सीएम नीतीश कुमार भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलेरेंस की नीति रखते हैं. भ्रष्टाचार और पाला बदलने की कोशिश करने के आरोपों के चलते आरसीपी सिंह ने सात अगस्त को इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने बिना आरसीपी सिंह और बीजेपी का नाम लिए कहा था कि बिहार में एक और चिराग मॉडल को लागू करने की साजिश हो रही है, जो कभी कामयाब नहीं होगी.


आरसीपी सिंह का नीतीश कुमार पर हमला


आरसीपी सिंह ने नीतीश कुमार को पीएम मैटेरियल बताते रहे थे लेकिन हाल में उन्होंने हमला करते हुए कहा था कि नीतीश कुमार सात जन्मों तक पीएम नहीं बन पाएंगे. यही नहीं, पिछले दिनों एक सवाल के जवाब आरसीपी सिंह ने कहा था, ''मैं किसी का हनुमान नहीं हूं, मेरा नाम ही रामचंद्र है. आरसीपी सिंह पर पार्टी लाइन से विपरीत जाकर केंद्र में मंत्री बनने का भी आरोप लगा. वहीं कुछ समय के लिए मोदी कैबिनेट में इस्पात मंत्री बने थे.


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जेडीयू से ऐसे पीके का निष्कासन


राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर और नीतीश कुमार के संबंधों ने भी एक समय तक काफी पेंग भरी.  16 सितंबर 2018 को प्रशांत किशोर जेडीयू में शामिल हुए थे, उन्हें जेडीयू का उपाध्यक्ष बनाया गया लेकिन पार्टी से उनकी विदाई कड़वाहट के साथ हुई. नागरिकता संशोधन कानून को लेकर प्रशांत किशोर और पार्टी के संबंध तल्ख हो गए थे. हालांकि, नीतीश कुमार ने प्रशांत किशोर को भरोसा दिया था कि राज्य में एनआरसी लागू नहीं होगा. एनआरसी को लेकर जेडीयू दो धड़ो में बंट गई थी. प्रशांत किशोर की अगुवाई में गुलास रसूल बलियावी समेत कई नेता बिल का समर्थन करने के पार्टी के फैसले को गलत बता रहे थे.


मजे की बात यह है उस समय आरसीपी सिंह ने प्रशांत किशोर पर हमला बोलते हुए यहां तक कह दिया था कि इस तरह की बातें करने वाले वह कौन होते हैं, वह पार्टी से जाने के लिए स्वतंत्र हैं. आखिर एनआरसी पर घमासान के बीच प्रशांत किशोर ने इस्तीफा दे दिया था. एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा था, ''मैं नीतीश जी से मिला, इसका मतलब यह नहीं कि मैं नीतीश जी की पार्टी ज्वाइन कर रहा हूं. मुझे उन्होंने निकाल दिया, मेरी उन्हें और उनकी पार्टी को खूब शुभकामनाएं हैं. जिस दिन उन्होंने निकाला उस दिन मैंने ट्वीट करके क्या कहा- आपकी पार्टी है, आपने बुलाया था अब आपने निकाल दिया, आपका सम्मान है. आप मुख्यमंत्री बने रहें, इसके लिए मेरी शुभकामना है. पार्टी की स्थिति उनकी जो पहले थी और जो आज थी, वो जनता को देखने दीजिए.''


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