पॉलिटिक्स में अगर पहली पंक्ति के नेता जीत का सेहरा, दूसरों के सिर बांधने लगे तो केमिस्ट्री बहुत तगड़ी है. तभी तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने पहुंचे तो मुलाकात सौ मिनट तक पहुंच गई. इतनी लंबी और बड़ी मुलाकात इन दोनों बड़े नेताओं में पहले कभी हुई नहीं थी. तो सवाल है कि इस मीटिंग में आखिर चर्चा क्या हो रही थी? आखिर ऐसी कौन सी बात हो रही थी कि लोकसभा के स्पीकर ओम बिरला को भी इंतजार करना पड़ा. इस मीटिंग की कोई खबर बाहर नहीं आई, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ट्वीट जरूर बता रहा है कि मीटिंग कितनी अहम थी और पीएम मोदी की नजरों में योगी की जगह कितनी ऊंची है.


मुलाकात के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया, "योगी आदित्यनाथ जी से भेंट हुई. उन्हें उत्तर प्रदेश चुनाव में मिली ऐतिहासिक जीत की बधाई दी. बीते 5 वर्षों में उन्होंने जन-आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए अथक परिश्रम किया है. मुझे पूर्ण विश्वास है कि आने वाले वर्षो में वे राज्य को विकास की और अधिक ऊंचाइयों पर ले जाएंगे."


कहने को ये शिष्टाचार भेंट थी, लेकिन राजनीति की तकदीर लिखने वाले जब मिलते हैं तो राजनीतिक मंथन भी होता है. इसीलिए ये अटकलें तेज हो गईं कि-



  • क्या सौ मिनट की बैठक योगी सरकार की नई कैबिनेट की रूप रेखा को लेकर हुई?

  • क्या ये बैठक इस बात पर भी हुई कि अबकी बार कौन बनेगा उप मुख्यमंत्री?

  • क्या विधानसभा चुनाव हार गए उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य फिर मंत्रिमंडल में जगह पाएंगे?

  • क्या इस पर भी बात हुई होगी कि विधानसभा में तो जीत मिल गई, लेकिन 2024 में बड़ी जीत के लिए बीजेपी क्या करेगी?

  • इन सवालों का जवाब आप उन राजनीतिक विश्लेषकों से जानिए जो बीजेपी की राजनीति को बड़े करीब से देखते हैं.


वरिष्ठ पत्रकार ब्रजेश शुक्ला ने कहा, "10 के बाद नई लड़ाई का आगाज हुआ है जो है लोकसभा चुनाव. इसी की रणनीति बनी है. यूपी जीत बड़ी उपलब्धि है, लेकिन बीजेपी ने कई खतरे महसूस किए हैं- जैसे कुछ वोट एकजुट हुआ है दूसरी ओर का, अगर वो आगे बढ़ा तो दिक्कत होगी, इस वोट का काउंटर प्लान कैसे किया जाए. पश्चिमी यूपी भले ही जीत गए हों, लेकिन 5 जिलों में खाता नहीं खुला- गाजीपुर, आजमगढ़, मुरादाबाद, कौशांबी. ये खतरे का सबब है. इस पर भी बात हुई होगी."


यूपी में योगी ने लगातार दूसरी बार सीएम बनकर भले ही 37 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया हो, लेकिन जानकारों की मानें तो बीजेपी की घटी हुई सीटें टॉप लीडरशिप को रास नहीं आ रहीं. खासतौर पर योगी के 11 मंत्रियों को हार का सामना करना पड़ा, खुद डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य चुनावों में धराशायी हो गए. मौजूदा सियासत में इन हारे हुए सूरमाओं को सम्मान कैसे दिया जाए. इस पर भी मंथन मुमकिन है.


 वरिष्ठ पत्रकार शांतनु गुप्ता कहते हैं, "आखिर में कोई रैली साथ नहीं हुई, इसलिए मिलना जरूरी था. जीत के बारे में बात हुई, आगे क्या करना है. यूपी बड़ा है, जीत का एनालिसिस करके आए होंगे. जो हार गए उनका क्या. मोदी हर चीज में पकड़ रखते हैं, उनका पार्टी में होल्ड है. सरकार गठन पर चर्चा- डिप्टी सीएम हारे, उनका क्या करना है. अध्यक्ष किसे बनाना है. 24 में बड़ा चुनाव है."


किसान आंदोलन के बाद माना जा रहा था कि पश्चिमी यूपी में बीजेपी को झटका लगेगा, लेकिन असली झटका लगा पूर्वांचल में. इन सबके बीच सवाल मंत्रिमंडल का भी है. पिछली बार उप मुख्यमंत्री रहे केशव प्रसाद मौर्य से मुख्यमंत्री योगी के संबंधों में खास मिठास दिखाई नहीं पड़ी. तो सवाल है कि अबकी बार क्या होगा?


अक्कू श्रीवास्तव ने कहा, "वोटरों के हाथों बीजेपी की ये बेकदरी आगे ना हो. इस पर भी मंथन जरूरी है. क्योंकि लोकसभा चुनावों का बिगुल अगले साल ही बज जाएगा. सबसे ज्यादा लोकसभा सीटें यूपी में हैं. इस बात को ध्यान में रखकर ही आगे यूपी की सारी रणनीति केंद्रित रहेगी."


शांतनु गुप्ता ने कहा, "पीएम मोदी से योगी की इतनी लंबी मुलाकात उनके बढ़े हुए कद को भी दिखाती है. वैसे भी योगी के नाथ संप्रदाय का असर देशव्यापी है जिसका फायदा बीजेपी को दूसरे राज्यों के चुनावो और लोकसभा चुनावों में मिलता है. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से लेकर कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा की ये तस्वीरें योगी के कद को दिखाती हैं.


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