INS Vikrant: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नौसेना में आईएनएस विक्रांत के शामिल होने का एक वीडियो अपने ट्विटर हैंडल पर शेयर किया है. साथ ही पीएम मोदी ने कहा, “वह शब्दों में गर्व की भावना व्यक्त नहीं कर सकते हैं.” प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को कोच्चि में कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित पहला विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत को चालू किया था. आईएएनस विक्रांत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में केंद्र सरकार का एक महत्वपूर्ण कदम है.
INS विक्रांत के कमीशन का वीडियो अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से शेयर करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा, "भारत के लिए एक ऐतिहासिक दिन! कल आईएनएस विक्रांत पर जो मैं गर्व की अनुभूति कर रहा था, उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है."
विक्रांत की कमीशनिंग सेरेमनी पर पीए मोदी ने कही थी ये बात
कोच्चि में विक्रांत की कमीशनिंग सेरेमनी को ऐतिहासिक और गर्व का पल बताते हुए पीएम मोदी ने कहा था कि हिंद महासागर और इंडो-पैसेफिक रीजन में शांति और सुरक्षा प्रदान करने में स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर, आईएनएस विक्रांत एक अहम भूमिका निभाएगा. पीएम ने ये भी कहा था कि इंडो-पैसिफिक रीजन और इंडियन ओसियन (Indian Ocean) में सुरक्षा चिंताओं को लंबे समय तक नजरअंदाज किया जाता रहा, लेकिन अब ये क्षेत्र हमारे लिए देश की बड़ी रक्षा प्राथमिकता है. इसलिए हम नौसेना के लिए बजट बढ़ाने से लेकर सैन्य क्षमता बढ़ाने तक हर दिशा में काम कर रहे हैं.
प्रधानमंत्री ने कहा, "आज यहां केरल के तट पर हर भारतीय एक नए भविष्य के उदय का गवाह बन रहा है। आईएनएस विक्रांत पर आयोजित यह कार्यक्रम विश्व क्षितिज पर भारत के बढ़ते हौसले को श्रद्धांजलि है."
समुद्री इतिहास में निर्मित अब तक का सबसे बड़ा जहाज
भारतीय नौसेना के इन-हाउस वॉरशिप डिज़ाइन ब्यूरो (WDB) द्वारा डिज़ाइन किया गया और कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा निर्मित, पोर्ट, शिपिंग और जलमार्ग मंत्रालय के तहत एक सार्वजनिक क्षेत्र का शिपयार्ड, विक्रांत को अत्याधुनिक ऑटोमेशन सुविधाओं के साथ बनाया गया है. यह भारत के समुद्री इतिहास में निर्मित अब तक का सबसे बड़ा जहाज है.
आईएनएस विक्रांत के निर्माण की क्या है लागत
लगभग 20,000 करोड़ रुपये की लागत से बने आईएनएस विक्रांत ने पिछले महीने समुद्री ट्रायल्स के अपने चौथे और अंतिम चरण को सफलतापूर्वक पूरा किया था. 'विक्रांत' के निर्माण के साथ, भारत उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो गया है, जिनके पास स्वदेशी रूप से विमानवाहक पोत का डिजाइन और निर्माण करने की क्षमता है.
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