नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस मामले के सभी याचिकाकर्ताओं से यह कहा है कि वह केंद्र सरकार को अपनी याचिका सौंपें. इस पर केंद्र का जवाब सुनने के बाद ही यह तय किया जाएगा कि मामले पर औपचारिक नोटिस जारी किया जाए या नहीं. कोर्ट ने यह भी कहा कि अधिकतर याचिकाएं बिना किसी ठोस सबूत के सिर्फ अखबारों की कतरन के आधार पर दाखिल की गई है.


इजराइली स्पाइवेयर पेगासस के जरिए कथित तौर पर लोगों के जासूसी किए जाने के मामले पर कुल 9 याचिकाएं आज चीफ जस्टिस एनवी रामना और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच में सुनवाई की शुरुआत में मामले में सबसे पहले याचिका दाखिल करने वाले वकील एम एल शर्मा और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट से पहले अपनी बात रखने की अनुमति मांगी चीफ जस्टिस ने सिब्बल को पहले बात रखने का मौका देते हुए एम एल शर्मा से कहा, " आप की याचिका और अधिकतर याचिकाएं सिर्फ मीडिया रिपोर्ट पर आधारित हैं. इनके पीछे कोई ठोस आधार नहीं.


बेंच के दूसरे सदस्य जस्टिस सूर्य कांत ने शर्मा से कहा, "आप ने सीबीआई को शिकायत भेजी. उसके अगले दिन ही सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दाखिल कर दी. इसे कैसे देखा जाए? अगर सीबीआई को शिकायत दी थी तो इंतज़ार करना चाहिए था." जजों ने इस बात पर भी आपत्ति जताई कि शर्मा की याचिका में प्रधानमंत्री और गृहमंत्री का नाम प्रतिवादी के तौर पर लिखा गया है. तय व्यवस्था के मुताबिक मुकदमा सरकार या उसके किसी विभाग के खिलाफ होता है. कोई भी मंत्री व्यक्तिगत तौर पर इस तरह के मुकदमे में पक्ष नहीं होता. शर्मा ने याचिका को सुधारने की अनुमति मांगी. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा, "आप को जो ठीक लगे कीजिए."


वरिष्ठ पत्रकार एन राम के लिए कोर्ट में पेश कपिल सिब्बल ने माना कि याचिकाएं ठोस सबूत पर आधारित नहीं हैं. उन्होंने कहा, "इस मामले में जो ज़रूरी सामग्री हो सकती है, एक आम नागरिक उसे हासिल नहीं कर सकता. यह एक ऐसे स्पाईवेयर का मामला है, जिसके जरिए फोन का कैमरा और माइक खुद ही चालू हो जाते हैं. किसी के जीवन की एक एक निजी बात इस तरह देखी और सुनी जा सकती है. कैलिफोर्निया की कोर्ट में एक मुकदमे की सुनवाई के दौरान कंपनी एनएसओ ने इस बात को स्वीकार किया है. सवाल यही है कि क्या भारत में भी लोगों पर इसका इस्तेमाल हुआ? सच तभी पता चलेगा, जब जांच होगी. कोर्ट सरकार को नोटिस जारी करे."


इस पर चीफ जस्टिस ने कहा, "कैलिफोर्निया की कोर्ट में चली सुनवाई में कहीं भी यह निकल कर नहीं आया कि भारत में पेगासस का इस्तेमाल हुआ है. भारत में यह मसला पहली बार 2019 में चर्चा में आया था. आप सभी लोग 2 साल तक शांत क्यों रहे? अचानक यह मामला गर्म क्यों हो गया है?" सिब्बल ने जवाब दिया कि जुलाई में सिटीजन लैब ने नए खुलासे किए हैं. इसी वजह से दोबारा चर्चा शुरू हुई है.


सिब्बल के बाद वरिष्ठ वकीलों मीनाक्षी अरोड़ा, राकेश द्विवेदी, श्याम दीवान और सी यू सिंह ने भी अलग-अलग याचिकाकर्ताओं के लिए दलीलें रखीं. इन याचिकाकर्ताओं में सीपीएम के राज्यसभा सांसद जॉन ब्रिटास, पत्रकार परंजोय गुहा ठाकुरता, प्रेम शंकर झा और सामाजिक कार्यकर्ता जयदीप छोकर शामिल थे. सभी वकीलों ने मिलती-जुलती दलीलें रखीं और कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग की. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा, "जिन लोगों को पक्का पता है कि उनकी जासूसी हुई, उन्होंने एफआईआर क्यों नहीं लिखवाई? हमें यह देखना होगा कि बिना किसी ठोस सबूत के हम मामले में किस तरह आगे बढ़ सकते हैं."


सुनवाई के अंत में चीफ जस्टिस ने कहा कि वह सरकार का पक्ष सुनने के बाद ही आगे की दिशा तय करेंगे. कोर्ट ने सभी याचिकाकर्ताओं से कहा कि वह केंद्र को अपनी याचिका की कॉपी सौंप दें. मंगलवार,10 अगस्त को सरकार का पक्ष सुना जाएगा. उसके बाद तय होगा कि मामले पर नोटिस जारी हो या नहीं. कोर्ट ने इस बात के भी संकेत दिए कि नोटिस कुछ ही मामलों पर जारी किया जाएगा. कांग्रेस नेता और वकील मनीष तिवारी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा की तरफ से दाखिल याचिका को भी रिकॉर्ड पर लेने का आग्रह किया. कोर्ट ने कहा कि इस पर बाद में विचार होगा.


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