Pegasus Case: सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस जासूसी मामले पर सुनवाई 13 सितंबर के लिए टाल दी है. केंद्र सरकार के लिए पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने मामले में नया हलफनामा दाखिल करने की बात कही. इसके लिए समय का आग्रह किया. याचिकाकर्ता पक्ष के लिए पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने भी इस पर आपत्ति नहीं की. इसके चीफ जस्टिस एन वी रमना की अध्यक्षता वाली 3 जजों की बेंच ने केंद्र के अनुरोध को स्वीकार कर लिया.


सरकार का जवाब देखने के बाद आदेश पर विचार करेगा कोर्ट


17 अगस्त को हुई पिछली सुनवाई में कोर्ट ने 2 पन्ने का संक्षिप्त जवाब दाखिल किया था. इसमें उसने मामले की जांच के लिए अपनी तरफ से विशेषज्ञ कमिटी बनाने का प्रस्ताव दिया था. याचिकाकर्ताओं ने इस संक्षिप्त जवाब का विरोध किया था. इसके बाद कोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी करते हुए कहा था कि वह विचार करे कि उसे और कुछ कहना है या नहीं. कोर्ट सरकार का जवाब देखने के बाद आदेश पर विचार करेगा.


सुप्रीम कोर्ट में पेगासस मामले की निष्पक्ष जांच के लिए 15 याचिकाएं लंबित हैं. यह याचिकाएं वरिष्ठ पत्रकार एन राम, राज्यसभा सांसद जॉन ब्रिटास, पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा समेत कई जाने-माने लोगों की है. उन्होंने राजनेताओं, पत्रकारों, पूर्व जजों और सामान्य नागरिकों की स्पाईवेयर के ज़रिए जासूसी का आरोप लगाया है. केंद्र जासूसी के आरोपों को निराधार बता चुका है. लेकिन उसने प्रस्ताव दिया था कि वह याचिकाकर्ताओं का संदेह दूर करने के लिए एक विशेषज्ञ कमिटी का गठन करेगा. इस पर याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट से मांग की थी कि वह सरकार को विस्तृत हलफनामा देने को कहे. यह पूछे कि सरकार ने पेगासस स्पाईवेयर का इस्तेमाल किया या नहीं.


केंद्र ने क्या कहा था?


पिछली सुनवाई में केंद्र की तरफ से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने विस्तृत हलफनामा देने में असमर्थता जताते हुए कहा था, "याचिकाकर्ता चाहते हैं कि सरकार यह बताए कि वह कौन सा सॉफ्टवेयर इस्तेमाल करती है, कौन सा नहीं. राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में यह सब हलफनामे के रूप में नहीं बताया जा सकता. कल को कोई वेबसाइट मिलिट्री उपकरण के इस्तेमाल पर कोई खबर प्रकाशित कर दे तो क्या हम सार्वजनिक रूप से उन सभी बातों का खुलासा करने लगेंगे?"


सॉलिसीटर जनरल ने विशेषज्ञ कमिटी के गठन पर ज़ोर देते हुए कहा था, "सरकार यह नहीं कह रही कि वह किसी को कुछ नहीं बताएगी. लेकिन कुछ बातें सार्वजनिक तौर पर हलफनामा दायर कर नहीं बताई जा सकतीं. भारत सरकार को कमिटी बनाने दिया जाए. सरकार कमिटी को हर बात बताएगी. वह कमिटी कोर्ट कोरिपोर्ट देगी."


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