अहमदाबाद: पाटीदारों को आरक्षण के मुद्दे पर हार्दिक पटेल और कांग्रेस के बीच मामला और बिगड़ता जा रहा है. आज अहमदाबाद में पाटीदारों और कांग्रेस के बीच हुई बैठक में आरक्षण देने पर कोई फैसला नहीं हो सका. लिहाजा पाटीदारों ने कांग्रेस के जवाब की डेडलाइन बढ़ाकर सात नवंबर कर दी है.


राहुल गांधी की रैली में नहीं जाएंगे हार्दिक पटेल

पाटीदार आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल ने कुछ दिन पहले पहले इस मामले पर कांग्रेस से तीन नवंबर तक जवाब देने को कहा था. वहीं, आज की बैठक के बाद पाटीदारों ने साफ किया है कि हार्दिक पटेल तीन नवंबर को होने वाली कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की रैली में नहीं जाएंगे. दो घंटे की इस बैठक के बाद तय हुआ है कि आरक्षण पर दोनों पक्ष कानूनी और तकनीकी सलाह लेंगे उसके बाद ही चर्चा की जाएगी.

हालांकि कांग्रेस ने भरोसा दिलाया कि आंदोलन के दौरान हिंसा में दोषी पुलिसवालों की जांच के लिए एसआईटी गठित की जाएगी और सभी आरोपी पाटीदारों से राजद्रोह समेत सभी केस वापस लिए जाएंगे.

कांग्रेस ने कहा है कि आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले लोगों के परिवार को 35 लाख रुपए और एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाएगी.

 क्यों पाटीदारों को अपने पाले में करना चाहती है कांग्रेस?

गुजरात में पटेलों की आबादी करीब 15% है. राज्य की करीब 80 सीटों पर पटेल समुदाय का प्रभाव है. पटेल बीजेपी के मुख्य वोट बैंक माने जाते रहे हैं. बीजेपी के 182 में से 44 विधायक पटेल जाति से आते हैं, लेकिन वर्तमान समय में पाटीदार बीजेपी से नाराज चल रहे हैं. ऐसी स्थिति में अगर कांग्रेस पाटीदारों को अपने पक्ष में कर लेती है तो गुजरात चुनाव में उसे इसका बड़ा फायदा मिल सकता है. लेकिन अब हार्दिक पटेल की इस चेतावनी ने कांग्रेस के लिए परेशानी बढ़ा दी है.

बीजेपी से क्यों नाराज हैं पाटीदार?

गुजरात में कड़वा, लेउवा और आंजना तीन तरह के पटेल हैं. आंजना पटेल ओबीसी में आते हैं. जबकि कड़वा और लेउवा पटेल ओबीसी आरक्षण की मांग कर रहे हैं. आरक्षण ना मिलने से अब पटेल बीजेपी से नाराज हैं.